बारिश की उस रात के बाद सिया ने अपने रूटीन में लौटने की कोशिश की, लेकिन कुछ बदल गया था। उसे हर बार आरव का मासूम चेहरा याद आ जाता। उसकी आंखों में जो मासूमियत थी, उसने सिया के दिल पर अपनी छाप छोड़ दी थी।
उधर, अर्जुन राठौड़ ने भी उस रात की घटना को नहीं भुलाया था। आरव की मां के निधन के बाद से वह खुद को एक जिम्मेदार पिता साबित करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी व्यस्तता ने आरव की देखभाल पर असर डाला था। सिया की दयालुता और सहजता ने आरव के भीतर के डर और खालीपन को कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन भर दिया था।
एक सुबह, सिया अपने छोटे से फ्लैट में चाय बनाते हुए अगले ऑडिशन की तैयारी कर रही थी कि उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा खोलने पर उसने अर्जुन को वहां खड़ा पाया।
“आप यहां?” सिया ने हैरानी से पूछा।
“क्या मैं अंदर आ सकता हूं?” अर्जुन ने विनम्रता से कहा।
सिया ने उन्हें अंदर आने दिया। अर्जुन ने चारों ओर नजर दौड़ाई। सिया का फ्लैट छोटा लेकिन साफ-सुथरा था।
“आपको शुक्रिया कहने के लिए शब्द नहीं हैं। पर एक और वजह से आया हूं,” अर्जुन ने बातचीत शुरू की।
सिया ने उत्सुकता से उनकी ओर देखा।
“मैं चाहता हूं कि आप आरव की देखभाल करें। मुझे लगता है कि आपकी मौजूदगी से आरव खुश रहता है। वह पहली बार किसी के साथ इतना सहज महसूस करता है,” अर्जुन ने सीधे बात रखी।
सिया चौंक गई। “देखिए, मुझे गलत मत समझिए, लेकिन मैं एक्ट्रेस बनने का सपना लेकर यहां आई हूं। मैं आपकी बात समझती हूं, लेकिन…”
“मैं आपकी स्थिति समझता हूं, और मैं आपके सपनों का सम्मान करता हूं,” अर्जुन ने उसे रोकते हुए कहा। “मैं यह प्रस्ताव सिर्फ आरव के लिए नहीं, आपके लिए भी एक अवसर के रूप में देखता हूं। यह नौकरी आपकी आर्थिक स्थिति को स्थिर कर सकती है, और आप अपने सपनों का पीछा भी कर सकती हैं। यह एक अस्थायी भूमिका हो सकती है, जब तक आरव बेहतर नहीं हो जाता।”
सिया ने कुछ पल सोचा। उसने अब तक जो संघर्ष किया था, वह उसके सामने किसी फिल्म की कहानी जैसा लग रहा था। उसे इस नौकरी की जरूरत थी, लेकिन क्या यह सही फैसला होगा?
“आपके पास सोचने का समय है,” अर्जुन ने कहा। “मुझे बस इतना पता है कि आरव को आपकी जरूरत है।”
सिया ने हिचकिचाते हुए सिर हिलाया। “ठीक है, मैं कोशिश करूंगी। लेकिन अगर किसी भी पल मुझे लगा कि यह सही नहीं है, तो मैं…”
“आप कभी भी फैसला बदल सकती हैं। कोई दबाव नहीं,” अर्जुन ने उसे भरोसा दिलाया।
अगले दिन सिया ने काम शुरू किया। अर्जुन ने उसे अपने घर पर बुलाया, जहां सिया की मुलाकात आरव से फिर हुई। आरव की आंखें सिया को देखकर चमक उठीं। उसने दौड़कर सिया की गोद में जगह बना ली।
यह नजारा देखकर अर्जुन की आंखों में एक हल्की मुस्कान आई।
आरव का देखभाल शेड्यूल और बाकी चीजों पर चर्चा करते हुए अर्जुन ने सिया को सहज महसूस कराया। सिया ने महसूस किया कि अर्जुन, भले ही कठोर बिजनेसमैन लगते हों, लेकिन वह एक पिता के रूप में काफी संवेदनशील और जिम्मेदार थे।
सिया ने खुद को आरव के साथ जोड़ा। वह उसे पढ़ाने, खेलने और उसकी देखभाल में दिलचस्पी लेने लगी। आरव ने धीरे-धीरे खुलकर मुस्कुराना और इशारों में अपनी भावनाएं जाहिर करना शुरू किया।
काम के साथ-साथ सिया अपने सपने को भी जिंदा रखे हुए थी। अर्जुन ने उसे हर तरह की आजादी दी थी। वह समय-समय पर ऑडिशन के लिए जा सकती थी, और इसके लिए वह उसे प्रोत्साहित भी करता था।
कुछ ही हफ्तों में, सिया और आरव के बीच एक मजबूत रिश्ता बन गया। लेकिन इस नए रिश्ते ने सिया की जिंदगी में एक नई जिम्मेदारी भी जोड़ दी थी।
अर्जुन अपने ऑफिस से जब भी घर लौटता, वह देखता कि आरव और सिया की बॉन्डिंग दिन-ब-दिन मजबूत हो रही थी। इसने अर्जुन के मन में सिया के लिए सम्मान और जिज्ञासा दोनों बढ़ा दी।
क्या सिया इस नौकरी के साथ अपने सपने को पूरा कर पाएगी? और क्या अर्जुन की जिंदगी में सिया का यह नया रोल सिर्फ आरव तक सीमित रहेगा? यह कहानी अभी शुरुआत थी।



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