सिया और आरव के बीच का रिश्ता भले ही मजबूत होता जा रहा था, लेकिन अर्जुन के परिवार में सिया की उपस्थिति को लेकर असहमति बढ़ने लगी थी। अर्जुन के पिता, रामनाथ राठौड़, एक पारंपरिक सोच वाले सख्त इंसान थे। उन्हें यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थी कि अर्जुन ने एक साधारण बैकग्राउंड वाली लड़की को उनके घर में इतना महत्व दे दिया था।
“अर्जुन, यह लड़की सिर्फ एक देखभाल करने वाली है। इसे परिवार में इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है?” रामनाथ ने एक दिन खाने की टेबल पर सीधे सवाल कर दिया।
“पापा, सिया सिर्फ आरव की देखभाल नहीं कर रही, उसने हमारे बेटे को फिर से हंसना सिखाया है। उसकी मौजूदगी से आरव की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आए हैं,” अर्जुन ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में जवाब दिया।
रामनाथ ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “बदलाव ठीक है, लेकिन तुम्हें यह देखना चाहिए कि यह लड़की कौन है, कहां से आई है। इस परिवार की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखना चाहिए।”
अर्जुन के पिता की इस सोच ने अर्जुन को झकझोर दिया, लेकिन वह और बहस नहीं करना चाहता था।
अर्जुन की बहन, तन्वी, जो आरव के करीब थी, खुद को सिया की उपस्थिति से असुरक्षित महसूस करने लगी। पहले वह ही आरव की देखभाल में ज्यादा वक्त लगाती थी, लेकिन अब सिया के आने के बाद आरव उसके प्रति थोड़ा उदासीन हो गया था।
“भैया, मैं तो हमेशा से आरव के लिए थी। आपने अचानक किसी और को उसकी जिम्मेदारी क्यों सौंप दी?” तन्वी ने अर्जुन से नाराज होकर पूछा।
“तन्वी, यह किसी की जगह लेने की बात नहीं है। सिया ने आरव को एक नई शुरुआत दी है। तुम्हें इसे समझना होगा,” अर्जुन ने उसे समझाने की कोशिश की।
लेकिन तन्वी चुपचाप कमरे से चली गई।
सिया ने इन सारी जटिलताओं को महसूस किया, लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि इसका सामना कैसे करे। वह जानती थी कि अर्जुन का परिवार उसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पा रहा, लेकिन आरव के लिए उसने सब कुछ सहन करने का फैसला किया।
उसी बीच, रोहन अपनी चालाकियों से बाज नहीं आ रहा था। उसने एक पार्टी का आयोजन किया और सिया को न्योता भेजा। सिया ने इसे अनदेखा करने की कोशिश की, लेकिन रोहन ने एक बार फिर से उसकी जिंदगी में जहर घोलने की ठान ली थी।
एक रात, अर्जुन अपने ऑफिस में व्यस्त था, तभी उसे तन्वी का फोन आया।
“भैया, तुम्हें पता है? मैंने सिया को रोहन के साथ बात करते देखा है,” तन्वी ने सिया पर आरोप लगाने वाले लहजे में कहा।
अर्जुन के दिमाग में सिया को लेकर सवाल उठने लगे। उसे याद आया कि कुछ दिनों पहले सिया ने उससे कहा था कि वह “एक पुरानी पहचान” से मिली थी।
अगले दिन, जब सिया आरव को स्कूल छोड़ने जा रही थी, अर्जुन ने उसे रोक लिया।
“सिया, तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो?” अर्जुन ने गंभीर स्वर में पूछा।
सिया ने उसकी आंखों में देखा। उसने चाहा कि वह उसे सब कुछ बता दे, लेकिन वह इस वक्त अर्जुन को और तनाव नहीं देना चाहती थी।
“नहीं, ऐसा कुछ नहीं है,” उसने सिर झुका लिया।
अर्जुन को सिया के जवाब पर भरोसा नहीं हुआ।
सिया के मन में भी द्वंद्व चल रहा था। एक तरफ अर्जुन के परिवार का बढ़ता विरोध और दूसरी तरफ रोहन की परेशानियां, उसने खुद को अकेला महसूस करना शुरू कर दिया था।
उस रात, जब सिया अपने फ्लैट में बैठी थी, तो अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने दरवाजा खोला, तो सामने अर्जुन खड़ा था।
“मैं तुम्हारे साथ साफ-साफ बात करना चाहता हूं, सिया,” अर्जुन ने कहा।
सिया ने अर्जुन को अंदर बुलाया और शांत स्वर में कहा, “क्या बात है?”
“क्या यह रोहन वही इंसान है, जो तुम्हारे अतीत का हिस्सा था?” अर्जुन ने सीधे सवाल किया।
सिया ने कुछ पल चुप रहने के बाद कहा, “हां, वह वही है। लेकिन मैं उससे दूरी बना रही हूं। वह अब मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं है।”
अर्जुन ने सिया की आंखों में देखा। उसकी ईमानदारी को समझते हुए उसने सिर हिलाया।
“अगर तुम्हें किसी भी मदद की जरूरत हो, तो मुझे बताना,” अर्जुन ने कहा और चला गया।
सिया ने उस रात लंबी सांस ली। उसे पता था कि यह सिर्फ शुरुआत थी। अर्जुन के परिवार का विरोध और रोहन की चालाकियों ने उसकी जिंदगी को और जटिल बना दिया था। लेकिन वह जानती थी कि आरव के लिए उसे इस लड़ाई में डटे रहना होगा।
जिंदगी अब एक ऐसे मोड़ पर आ चुकी थी, जहां हर कदम संभलकर चलना जरूरी था।



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