सिया की ईमानदारी और समर्पण ने अर्जुन का दिल जीत लिया था, लेकिन उसका परिवार अब भी उसे पूरी तरह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। रोहन के साथ अर्जुन की कानूनी लड़ाई ने सिया को थोड़ी राहत दी थी, लेकिन वह जानती थी कि अर्जुन के परिवार की स्वीकृति के बिना उसकी जिंदगी में शांति नहीं आ सकती।
तन्वी, जो अब भी सिया को लेकर असहज थी, ने एक दिन सिया से खुलकर बात करने का फैसला किया।
“सिया, मैं जानती हूं कि तुम आरव के लिए बहुत कुछ कर रही हो, लेकिन क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारी मौजूदगी हमारे परिवार को परेशान कर रही है?” तन्वी ने सीधा सवाल किया।
सिया ने तन्वी की ओर शांत नजरों से देखा। “अगर आपको लगता है कि मैं यहां किसी को परेशान करने आई हूं, तो मैं माफी चाहती हूं। लेकिन मैं आरव के लिए यहां हूं। अगर मेरी मौजूदगी से आपका या इस घर का नुकसान हो रहा है, तो मैं खुद को अलग करने के लिए तैयार हूं।”
तन्वी ने पहली बार सिया की बातों में उसकी सच्चाई को महसूस किया। लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और वहां से चली गई।
उधर, रामनाथ अब भी सिया को लेकर आश्वस्त नहीं थे। उन्होंने अर्जुन से सख्त लहजे में कहा, “तुम्हें यह समझना होगा कि तुम्हारे फैसले का असर हमारे पूरे परिवार पर पड़ता है। यह लड़की भले ही आरव के लिए सही हो, लेकिन हमारे स्तर की नहीं है। अगर वह इस परिवार का हिस्सा बनने की कोशिश कर रही है, तो यह मुझसे सहन नहीं होगा।”
अर्जुन ने अपने पिता की बात सुनकर गहरी सांस ली। “पापा, यह सिर्फ सिया के बैकग्राउंड की बात नहीं है। यह उस इंसान की बात है जिसने हमारे बेटे की जिंदगी में खुशियां लौटाई हैं। और अगर आप उसे स्वीकार नहीं कर सकते, तो मैं यह कहने के लिए मजबूर हो जाऊंगा कि आपकी परंपराएं हमारे रिश्तों से बड़ी नहीं हो सकतीं।”
रामनाथ को अर्जुन के शब्दों ने झकझोर दिया, लेकिन वह चुपचाप वहां से चले गए।
सिया, जो इस सब से अनजान थी, अपने फ्लैट पर बैठी सोच रही थी। उसने महसूस किया कि उसकी मौजूदगी से अर्जुन और उसके परिवार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। वह जानती थी कि अर्जुन उसके समर्थन में खड़ा है, लेकिन वह यह भी समझती थी कि परिवार को तोड़कर वह खुश नहीं रह पाएगी।
उसने खुद को अलग करने का फैसला किया।
अगले दिन, सिया ने अर्जुन से मिलने का वक्त मांगा। वह उसे गार्डन में मिली, जहां आरव पास ही खेल रहा था।
“अर्जुन, मुझे लगता है कि मुझे अब यहां से चले जाना चाहिए,” सिया ने सीधे कहा।
अर्जुन चौंक गया। “तुम यह क्यों कह रही हो? क्या हुआ?”
“मैं यहां सिर्फ आरव के लिए थी। लेकिन अब मुझे लगता है कि मेरी वजह से आपका परिवार और आपके रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं। मैं यह बोझ नहीं उठा सकती,” सिया ने अपनी आंखों में आंसू छुपाते हुए कहा।
“सिया, तुमने आरव के लिए जो किया है, उसके लिए मैं तुम्हारा आभारी हूं। लेकिन तुम्हें यह सोचने की जरूरत नहीं है कि तुम हमारी समस्या हो। अगर मेरे परिवार को यह बात समझाने में वक्त लगेगा, तो मैं उन्हें समझाऊंगा। तुम इस घर और मेरी जिंदगी का हिस्सा हो,” अर्जुन ने भावुक होकर कहा।
लेकिन सिया ने अपनी बात पर अडिग रहते हुए कहा, “मैं अपने सपनों और आत्मसम्मान के लिए यहां आई थी। मुझे वापस उसी रास्ते पर लौटना होगा। और जहां तक आरव की बात है, वह हमेशा मेरे दिल में रहेगा।”
सिया की बातों ने अर्जुन को चुप करा दिया। वह जानता था कि सिया का यह फैसला उसके लिए कितना कठिन था।
आरव, जो पास में खेल रहा था, अचानक उनकी ओर आया। उसने सिया का हाथ थाम लिया और इशारे में उसे रुकने की गुजारिश की।
“आरव… मुझे जाना होगा। लेकिन मैं तुम्हें हमेशा याद करूंगी,” सिया ने उसे गले लगाते हुए कहा।
आरव की आंखों में आंसू थे। अर्जुन यह सब देख रहा था, लेकिन वह इस वक्त कुछ नहीं कर सका।
सिया ने घर छोड़ दिया और अपने पुराने सपने का पीछा करने के लिए फिर से ऑडिशन देना शुरू कर दिया। लेकिन उसके दिल में आरव और अर्जुन की जगह अब भी बनी हुई थी।
उधर, अर्जुन के घर में माहौल और तनावपूर्ण हो गया। आरव ने खाना छोड़ दिया और किसी से बात करना बंद कर दिया। उसकी उदासी ने पूरे घर को खामोश कर दिया।
अर्जुन ने महसूस किया कि सिया को वापस लाने के बिना उनकी जिंदगी अधूरी थी। लेकिन क्या वह अपने परिवार को समझा पाएगा?
सिया ने अपने रास्ते पर कदम बढ़ा लिए थे, लेकिन क्या उसकी यह दुविधा उसे अर्जुन और आरव से हमेशा दूर रखेगी?
यह कहानी अब एक और निर्णायक मोड़ पर थी। अर्जुन और सिया के बीच प्यार और परिवार के बीच का संघर्ष गहराता जा रहा था। लेकिन क्या उनका रिश्ता इस कठिनाई को पार कर पाएगा?



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