सिया के लौटने के बाद राठौड़ हाउस का माहौल बदलने लगा। आरव की मुस्कान वापस आ गई थी, और वह पहले से ज्यादा खुश रहने लगा था। लेकिन सिया जानती थी कि अर्जुन का परिवार अभी भी उसे पूरी तरह से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था।
सिया ने तय किया कि वह परिवार के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए इंतजार नहीं करेगी। उसने अपनी मौजूदगी और अपने काम से उन्हें यह महसूस कराने का फैसला किया कि वह सिर्फ आरव के लिए नहीं, बल्कि इस परिवार के लिए भी महत्वपूर्ण है।
एक दिन, रामनाथ को सीढ़ियों से उतरते समय हल्की चक्कर की शिकायत हुई। पास खड़ी सिया ने उन्हें सहारा देकर सोफे पर बिठाया और तुरंत पानी और दवाइयां लेकर आई।
“आपकी सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, अंकल। डॉक्टर को दिखाने की जरूरत होगी,” सिया ने चिंता जताई।
रामनाथ ने पहली बार उसकी ओर गौर से देखा। उसकी आंखों में कोई चालाकी नहीं थी, बस एक ईमानदारी और परिवार के प्रति सम्मान झलक रहा था।
“मैं ठीक हूं,” रामनाथ ने थोड़ा कठोर होकर कहा, लेकिन उनकी आवाज में वह सख्ती नहीं थी जो पहले हुआ करती थी।
उधर, तन्वी ने भी सिया के साथ थोड़ा सहज महसूस करना शुरू कर दिया था। जब एक दिन आरव का स्कूल प्रोजेक्ट था और तन्वी उससे चिढ़कर दूर जा रही थी, तो सिया ने उसे समझाया।
“तन्वी, अगर हम सब मिलकर आरव को थोड़ा सपोर्ट देंगे, तो वह और ज्यादा आत्मविश्वासी हो सकता है। तुम्हारा समय और प्यार उसके लिए बहुत कीमती है,” सिया ने कहा।
तन्वी ने आरव की ओर देखा, जो अपने कागजों के बीच उलझा हुआ था। उसने सिया की बात मानकर आरव की मदद की। उस दिन के बाद से, तन्वी ने महसूस किया कि सिया इस घर के लिए सिर्फ बोझ नहीं थी, बल्कि एक ऐसा रिश्ता थी जो परिवार को जोड़ सकती थी।
लेकिन कहानी का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब रामनाथ ने एक दिन अर्जुन से बात की।
“अर्जुन, मुझे मानना होगा कि सिया के लौटने के बाद आरव में जो बदलाव आया है, वह किसी और के कारण नहीं हो सकता। वह लड़की दिल से अच्छी है। लेकिन क्या तुम वाकई उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहते हो?”
“हां, पापा। सिया सिर्फ आरव के लिए नहीं, मेरे लिए भी उतनी ही जरूरी है। मैं जानता हूं कि उसने हमारे परिवार को जोड़ने की कोशिश की है, और मुझे उससे बेहतर जीवनसाथी नहीं मिल सकता,” अर्जुन ने गंभीरता से जवाब दिया।
रामनाथ ने कुछ पल सोचा और फिर कहा, “ठीक है। अगर तुम्हें लगता है कि वह सही है, तो मैं इस रिश्ते को स्वीकार करूंगा। लेकिन याद रखना, अर्जुन, यह जिम्मेदारी तुम्हारी है कि यह रिश्ता हमारे परिवार की गरिमा के अनुरूप हो।”
अर्जुन ने राहत की सांस ली। वह जानता था कि यह मंजूरी आसान नहीं थी, लेकिन सिया की मेहनत और सच्चाई ने इसे संभव बना दिया।
अर्जुन ने सिया को अपने इरादों के बारे में बताने का फैसला किया। उसने एक छोटी सी पार्टी का आयोजन किया और उसमें सिया को भी बुलाया।
पार्टी में, जब सब लोग इकट्ठा हुए, तो अर्जुन ने सबके सामने सिया की ओर देखते हुए कहा, “मैं आज सबको बताना चाहता हूं कि सिया सिर्फ आरव की देखभाल करने वाली नहीं है। वह मेरे जीवन की सबसे खास इंसान है। मैं चाहता हूं कि आप सब उसे परिवार के रूप में स्वीकार करें।”
सिया यह सुनकर हैरान रह गई। उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे।
रामनाथ ने धीरे-धीरे सिया के पास आकर कहा, “हमने तुम्हें परखा है, और तुमने साबित कर दिया कि तुम हमारे परिवार के लिए सही हो। मैं तुम्हें इस परिवार में स्वागत करता हूं।”
यह सुनकर सिया के लिए सब कुछ जैसे एक सपने जैसा लगने लगा।
अर्जुन ने सिया को अपने प्यार का इजहार किया, और परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया। सिया और अर्जुन की नई शुरुआत हुई, लेकिन कहानी का सबसे बड़ा और भावनात्मक मोड़ तब आया जब आरव ने पहली बार बोलने की कोशिश की।
पार्टी के बीच, आरव धीरे-धीरे सिया की ओर बढ़ा और सबके सामने पहली बार कहा, “सिया।”
उस एक शब्द ने पूरे घर को भावनाओं से भर दिया। सिया ने आरव को गले लगाया, और उसकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे।
इस कहानी का अंत एक नई शुरुआत पर हुआ। सिया और अर्जुन ने न केवल अपने रिश्ते को मजबूत किया, बल्कि यह साबित किया कि प्यार और सच्चाई हर मुश्किल को पार कर सकते हैं।
Season End



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