Author - Avinash Kumar
आरव के परेंट्स के हत्या 9 साल बाद, आरव के जीवन ने कई मोड़ ले लिए थे। अपने माता-पिता के हत्या के समय वो टीनएज था वहीं अब वह एक पुलिस इंस्पेक्टर है।
अपने माता-पिता की हत्या का mystery अब भी उसके जीवन का मेन मकसद था।
शेखर अंकल से मिलकर लौटने के बाद, आरव का दिमाग बेचैन था। उनके द्वारा दिए गए डायरी को बार-बार देख रहा था । उस डायरी को देखकर उसे कुछ गड़बड़ लग रही थी। जैसे उस डायरी में कोई अधूरा सुराग छिपा हो।
अगले दिन आरव पुलिस स्टेशन जाकर अपनी डेस्क पर रखे उस मामले की फाइल को उठाया जिसे उसने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था—अपने माता-पिता की हत्या के case फ़ाइल।
उसने अपने सीनियर इंस्पेक्टर से अनुमति मांगी कि वह अपने माता-पिता के मर्डर केस को फिर से open कर इन्वेस्टिगेशन करना चाहता है।
उसके माता-पिता के मर्डर फाइल को आज से कई वर्ष पहले ही क्लोज कर दिया गया था क्योंकि पुलिस के काफी छानबीन करने के बाद भी उनके मर्डरर का कोई सुराग नहीं लग पाया था ।
सीनियर इंस्पेक्टर ने एक थकी हुई मुस्कान के साथ हामी भर दी। “लेकिन याद रखना, तुम अभी बिल्कुल नए हो, इस केस पर कई एक्सपिरिएंसेस वाले ऑफिसर्स काम कर चुके हैं लेकिन कोई रिजल्ट नहीं आया लेकिन तुम उन विक्टिम का बेटे हो इसलिए मैं तुम्हें इस पर फिर से काम करने के लिए allow करता हूं। लेकिन यह सिर्फ तुम्हारी जिद की वजह से कर रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पास कोई ठोस सबूत कुछ नहीं है।”
अपने सीनियर इंस्पेक्टर की बात सुनकर आरव ने अपनी गर्दन हिलाकर उन्हें विश्वास दिलवाया कि वह कोई गड़बड़ नहीं करेगा । आरव अपने माता-पिता के मर्डर case फ़ाइल की पुरानी फाइलें, गवाहों के बयान, और उन दिनों की खबरें फिर से पढ़नी शुरू कीं। और तभी उसे एक कड़ी दिखाई दी—उस केस फ़ाइल में एक महिला का ज़िक्र था, जो आरव को बड़ा अजीब लगा। उसने खुद से वादा किया कि वह अपने पेरेंट्स के हत्यारे का इन्वेस्टिगेशन इसी महिला से शुरू करेगा।
आरव ने उसी शाम महिला के अपार्टमेंट जाने का फैसला किया। अपार्टमेंट इमारत के बाहर पहुंचकर उसने चारों ओर का जायजा लिया। इमारत अब शांत थी, लेकिन आरव की पुलिस की ट्रेनिंग उसे बार-बार सचेत कर रही थी कि यहां जरूर कुछ राज़ छिपा हुआ है। उस अपार्टमेंट को बाहर से ही देखकर ऐसा लगता था जैसे मनहूसियत ने कब्जा कर रखा हो।
आरव जैसे ही मेन दरवाजे पर पहुंचा, उसे खिड़की के पास हल्की हरकत दिखाई दी। उसने दरवाजा खटखटाया। कुछ देर बाद एक महिला ने थोड़ा संकोच करते हुए दरवाजा खोला।
“तुम फिर आए हो? मैंने तो कहा था, यहां कुछ भी नहीं है,” महिला ने घबराए हुए आवाज़ में कहा।
उस औरत की बात सुनकर आरव हैरान हो गया। उस औरत से आरव ने कहा, “लेकिन मैं तो पहली बार यहां आ रहा हूं आप किसकी बात कर रहे हैं।”
आरव की बात सुनकर उस औरत ने आरव को ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा और फिर बोली , “वह … यहां एक आदमी आया था और वो कुछ ढूंढ रहा था। मुझे लगा वह वापस फिर से आया है।”
उस औरत की घबराहट को देखकर आरव ने उसे शांत करते हुए पूछा, “ क्या वह दिखने में मेरे जैसा था? आप डरिये नहीं आपको इतना घबराने की जरूरत नहीं है। मैं पुलिस से हूं।”
जब उसने सुना कि आरव पुलिस से है तो उस औरत को थोड़ा रिलैक्स महसूस हुआ और उसने आगे कहा, “वह एक 55-60 साल का ओल्ड व्यक्ति था जो सफेद कुर्ते में था और उसके हाथ में रोलेक्स घड़ी थी।”
सफेद कुर्ता और हाथ में रोलेक्स घड़ी सुनते ही आरव के दिमाग में जो सबसे पहला इमेज बना, वो शेखर अंकल का था वह सोचने लगा कि आखिर शेखर अंकल इस महिला से क्यों मिलने आए थे और वो क्या चाहते थे इससे?
आरव ने चालाकी भरी नजरों से उस औरत को देखा और पास जाकर कहा
“मैम, मैं यहां सिर्फ आपकी safety Ensure करने आया हूँ,” आरव ने शांत लहजे में जवाब दिया।
जब आरव ने देखा कि वह औरत अब नॉर्मल हो गई है तब उसने आगे कहा, “लेकिन मुझे कुछ सवाल पूछने हैं। क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?”
महिला झिझकते हुए किनारे हो गई। अपार्टमेंट के अंदर का माहौल ठंडा और भारी था। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें थीं, और मेज पर एक आधा खाली चाय का कप रखा था।
आरव ने उसके आसपास की चीज़ों पर ध्यान दिया। “क्या आप बताना चाहेंगी कि वह व्यक्ति आपके अपार्टमेंट में क्यों आया था? क्या उसने कोई खास चीज़ मांगी थी?”
महिला की आँखें फर्श पर झुकी हुई थीं। “मुझे नहीं पता। वह बस कुछ पूछे बिना ही चला गया।”
आरव ने उसकी हिचकिचाहट को भांप लिया। “क्या आप जानती हैं कि उस आदमी का मकसद क्या हो सकता है? या आपने उसे पहले कहीं देखा है?”
महिला ने लंबी सांस ली। “नहीं, मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा। लेकिन… लेकिन वह कुछ ढूंढ रहा था।”
आरव ने महिला की बातों को गंभीरता से लिया। उसने कमरे का मुआयना शुरू कर दिया और खिड़की के पास कुछ खरोंच के निशान देखे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई व्यक्ति जबरदस्ती अंदर घुसने की कोशिश किया हो।
“आपने उस आदमी को कोई ऐसी हरकत करते देखा यहां जो नॉर्मल ना हो?”
महिला ने धीमी आवाज़ में कहा, “हाँ, उसने मेरे बुकशेल्फ़ की ओर देखा था। लेकिन मैं समझ नहीं पाई कि वह क्या चाहता था।”
आरव की नजर अब बुकशेल्फ़ की ओर गई। उसने ध्यान से किताबों को देखा और पाया कि उनमें से एक किताब थोड़ी खिसकी हुई थी। उसने किताब को खींचा तो उसके पीछे एक छोटी सी दराज दिखाई दी।
दराज के अंदर एक पुरानी डायरी थी। आरव ने महिला से पूछा, “यह डायरी आपकी है?”
महिला ने सिर हिलाया। “नहीं, यह यहां पहले से ही थी। मुझे लगता है कि यह पिछले किराएदारों की होगी। मैंने इसे कभी नहीं छुआ।”
आरव ने डायरी को खोलकर देखा। उसके पन्नों में कोडेड मैसेज और कुछ नाम लिखे हुए थे। एक नाम बार-बार लिखा हुआ था—”शेखर।”
आरव के दिल की धड़कन तेज हो गई। यह वही नाम था जिसे उसने 8-9 साल पहले अपनी दादी से सुना करता था। उसने महिला से कहा, “मैम, यह डायरी बहुत important हो सकती है। क्या आप मुझे इसे जांच के लिए ले जाने देंगी?”
महिला ने सिर हिलाया। “हाँ, अगर यह मदद कर सकती है तो आप ले जाइए। लेकिन क्या यह safe है? इससे मुझे किसी तरह के लफड़े में तो नहीं पड़ना होगा ?”
“आप चिंता न करें। मैं सुनिश्चित करूंगा कि आपकी सेफ़्टी पर कोई खतरा न हो,” आरव ने उसे आश्वासन दिया। उसके बाद आरव उस डायरी को लेकर वापस पुलिस स्टेशन आ गया।
आरव ने पुलिस स्टेशन लौटकर डायरी को ध्यान से पढ़ा। उसमें कई ऐसे नाम और तारीखें थीं जो उसके माता-पिता के मामले से जुड़ी हुई थीं। और सबसे ज्यादा ध्यान अट्रैक्ट करने वाली बात यह थी कि उनमें से एक तारीख ठीक उसी दिन की थी जिस दिन उसके माता-पिता की हत्या हुई थी।
- The Hidden Past। Ep- 01। Suspense & Thriller Story In Hindi
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