Author - Avinash Kumar
इंस्पेक्टर कीरत की बात सुनकर आरव हैरान रह गया क्योंकि वह अपने मन में करोल बाग पुलिस स्टेशन का जिस तरह का इमेजिन कर रखा था उससे यह पुलिस स्टेशन बिल्कुल अलग थी।
आरव ने इंस्पेक्टर को देखते हुए कहा, “नहीं, यह नहीं हो सकता। मैं करोल बाग पुलिस स्टेशन में नहीं हूं अगर मैं वहाँ होता तो मेरे सामने तुम नहीं बल्कि मेरे सीनियर इंस्पेक्टर विक्रम सर होते। प्लीज आप लोग मेरी उनसे बात करवाइए मैं भी पुलिस में हूं और मैंने किसी का खून नहीं किया है।”
“तुम्हारे घर में डॉक्टर शेखर की लाश मिली है उनकी हत्या किसने की है क्या तुम बता सकते हो?” इंस्पेक्टर ने आरव को देखते हुए कहा।
आरव कुछ जवाब देता उससे पहले ही उसके कानों में आवाज सुनाई दी, “आरव, तुम उन्हें कहो कि उसने तुम पर हमला किया था वो तुम्हारी जान लेना चाहता था। और ये सब तुमने आत्मरक्षा के लिए किया था।”
उस आवाज को सुनते ही आरव ने सेम चीज इंस्पेक्टर कीरत को रिपीट कर दिया। यह सुनकर इंस्पेक्टर कीरत को गुस्सा आ गया और उसने गुस्सा करते हुए कहा, “वह तुम्हारे डॉक्टर थे, और तुम्हारा इलाज के लिए तुम्हारे घर आया-जाया करते थे। तुम पर हमला क्यों करेंगे?”
“शेखर एक डॉक्टर नहीं था, इंस्पेक्टर साहब। वो एक क्रिमिनल था मैं दो दिन पहले ही उसके फार्म हाउस पर गया था, और वहाँ कुछ क्रिमिनल के साथ उसे मीटिंग करते हुए देखा था। उसने अपने फार्म हाउस पर मुझे देख लिया था इसलिए वह मुझे मेरे घर पर मर्डर करने के लिए आए थे लेकिन मैंने मौका देखकर उन्हें ही मार दिया और यह काम मैंने अपनी सेल्फ डिफेंस में किया है तो मैं मुझे नहीं लगता कि आप इसके लिए मुझे सजा देंगे।”
आरव की बात सुनकर इंस्पेक्टर कीरत को समझ में आ गया था कि सच में आरव मानसिक रूप से बीमार है क्योंकि डॉक्टर शेखर एक साइकोलॉजिस्ट थे और उनका ज्यादा किसी से मतलब ही नहीं रहता था।
वह सिर्फ अपने मरीज को इलाज करने में ही व्यस्त रहते थे। वह जब से विदेश से पढ़ाई करके आए थे तब से इंडिया से फिर कभी बाहर भी नहीं गए थे। उनके लिए मरीजों का इलाज करना ही उनका धर्म था।
कुछ और देर पूछताछ करने के बाद इंस्पेक्टर कीरत ने आरव को लॉकअप में बंद कर दिया और अपने कुछ लोगों के साथ डॉक्टर शेखर के अस्पताल पहुंच गए और वहां से डॉक्टर शेखर के बारे में और भी जानकारी निकालने लगा।
“इंस्पेक्टर साहब, डॉक्टर शेखर सर एक बहुत ही सीधे साधे और सिंपल इंसान थे यह संभव ही नहीं है कि वह किसी क्रिमिनल के साथ मिले हो सकते हैं और सर सबसे बड़ी बात जो आप बता रहे हैं कि उनका कोई फार्म हाउस है। सर उनका कोई फार्म हाउस है ही नहीं फिर वहां कैसे किसी क्रिमिनल के साथ मीटिंग कर सकते थे?” एक महिला डॉक्टर रीमा ने इंस्पेक्टर कीरत से कहा।
“हां, मैं समझ सकता हूं मैं बस कानूनी प्रोसीजर फॉलो कर रहा हूं अगर सस्पेक्ट ने मुझे कुछ ऐसा जानकारी दिए हैं तो मुझे उसे वेरीफाई करना जरूरी होता है तो प्लीज आप लोग कोऑपरेट करें।” इंस्पेक्टर कीरत ने कहा।
अस्पताल से जितने भी जानकारी मिल सकती थी या फिर डॉक्टर शेखर के बारे में जो भी जानकारी मिल सकती थी उन्होंने वह जानकारी लिया और वापस पुलिस स्टेशन आ गए। और अपने कुछ लोगों को आरव के घर छानबीन करने के लिए भेज दिया।
दो सिपाही अर्जुन और दीपेश आरव के कमरे में छानबीन कर रहे थे। कमरे में काफी गंदगी भरी पड़ी थी। मेडिसिन के कई बॉक्स इधर-उधर फेंके हुए थे। उन्हीं बॉक्स के पीछे एक अजीब सी पेंटिंग दिखी।
अर्जुन उस पेंटिंग को उलट-पलट कर देखने लगा और फिर कहा, “ दीपेश, यह पेंटिंग कुछ मुझे अजीब लग रहा है। ऐसा क्यों लग रहा है कि ये किसी Mythological कहानी का कैरेक्टर है।”
अर्जुन की बात सुनकर दीपेश ने उस पेंटिंग को देखा। वो पेंटिंग को बहुत गौर से देख रहा था हालांकि उस पेंटिंग में कुछ भी क्लियर नहीं था।
दीपेश गौर से देखते हुए कहा, “मुझे लगता है यह किसी राक्षस की पेंटिंग है।”
दीपेश की बात सुनकर अर्जुन ने गौर से उस पेंटिंग को देखा और फिर उसे समझ में आया कि यह कोई पौराणिक कथा की पेंटिंग नहीं है बल्कि उस पेंटिंग में एक इंसान ज़मीन पर गिरा हुआ था और उसके पास एक आदमी खड़ा था जो काफ़ी ख़तरनाक दिख रहा था।
इसके बाद अर्जुन ने अपने फोन निकाल कर इंस्पेक्टर कीरत को फोन लगाया, “ सर, आरव के घर से मुझे एक पेंटिंग मिली है।”
कंफ्यूज होकर कीरत ने कहा, “पेंटिंग! और उस पेंटिंग के बारे में मुझे क्यों बता रहे हो?”
“सर, ये पेंटिंग कुछ अजीब है। ऐसा लग रहा है कि इसमें किसी तरह का कोई मैसेज छुपा हुआ है क्योंकि यह देखने से तो कोई नार्मल पेंटिंग नहीं लग रही है। इस पेंटिंग में एक बड़ा सा इंसान है जो किसी राक्षस जैसा दिखता है और उसके आसपास कुछ लाशें है जिसके सर काटे गए हैं बट यह सारी चीज उतनी क्लियर दिखती नहीं है, हमें कनेक्शन जोड़कर देखना पड़ रहा है।”
अर्जुन की बात सुनकर इंस्पेक्टर कीरत सोच में पड़ गया। उसने कुछ सोचते हुए कहा, “तुम लोग उस पेंटिंग को लेकर आ जाओ देखता हूं आखिर उस पेंटिंग में क्या मैसेज छुपा हुआ है।”
अर्जुन कॉल कट कर पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया जबकि दूसरी तरफ आरव लॉकअप में बैठा दीवारों को घूर रहा था और उसने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा, “बस्टर्ड ! मैं इन्हें छोडूंगा नहीं।”
आरव अभी कुछ और सोच पाता तभी उसके कान में फिर से वही आवाज गूंजी, “ अब तुम्हें यहां से निकलना होगा वरना यह लोग तुम्हें यहां मार देंगे।”
आरव उस आवाज को सुनने के बाद खुद से कहा, “मगर मैं क्या करूं? क्या यह लोग सच में ऐसा करने वाले हैं?”
“अगर तुम सच में यहां से बचकर निकलना चाहते हो तो सबसे पहले इंस्पेक्टर कीरत को जान से मारना होगा वरना वह तुम्हें मार देगा और यह लोग तुम्हें फांसी तक लेकर भी जा सकते हैं।” आरव के कान में यह आवाज सुनाई पड़ी।
The Hidden Past। Ep- 09। Suspense Story In Hindi
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