Author - Avinash Kumar
वह बावली थी मगर समझदार भी थी , वह हमेशा दिमाग की जगह दिल का इस्तेमाल किया करती थी।उसे लडके -लडकियां में ज्यादा फर्क महसूस नहीं होती थी।
ना उसे किसी लड़के से दुश्मनी रहता था और नही किसी लड़कियों से ।वह बिलकुल बिंदास थी । उसे अक्सर किसी ना किसी लड़के से गप्पे मारता देखा जा सकता था।
लड़के हमेशा उसे किसी ना किसी का गर्ल फ्रेंड सिद्ध करने में लगा रहता था ।अगर कोई बात को पूरी कक्षा में फैलानी हो तो उस बात को बस उस बाबली लड़की तक पंहुचा दो कुछ क्षण बाद वो बात पूरी विधालय में फ़ैल जाती थी।
वह हमेशा लडको वाली सीट पर बैठ कर किसी ना किसी लड़के का सेटिंग करवाती रहती थी। लेकिन उसकी सेटिंग किस लड़के से था यह एक अनसुलझी पहली थी ।
विधालय के हर लड़का कहता था, “यार ! ये मेरी सेटिंग हैं।”
परन्तु कभी ये कन्फर्म नहीं हो पाता है कि ये किसकी गर्लफ्रेंड है! मुझे लगता हैं , इस तरह की लड़की हर स्कूल के प्रत्येक कक्षा में रहती हैं ।
इसे कुछ बच्चे गन्दी लड़की समझती हैं तो कुछ बेशर्म। इसके बारे में सभी का अपना – अपना मत होते हैं । मेरी कक्षा में भी इसी तरह की एक लड़की थी बबीता।
वह सुंदर तो बहुत थी , गोरे गाल , गालों पर काली तील , गुलाबी होठ और भूरे बाल । उसके सामने मेरे क्लास की सभी लड़कियां किसी बंदरी से ज्यादा नही देखती थी।
कक्षा के सभी लडको का मानना था – बबीताकी अफेयर्स कई लड़कों से हैं । कभी – कभी तो अपने स्कुल के ही टीचर राकेश वर्मा से अफेयर की बात उड़ती रहती थी।
मुझे पता नही इस तरह के बातों को हवा कौन देता था ? खैर ,जो भी हो उसे इन सारी बातों से ज्यादा फर्क नही पड़ती थी। वह मुझसे भी बहुत बातें किया करती थी। लेकिन मेरे दिल में वह मेरे लिए एक दोस्त से ज्यादा कुछ और नहीं थी और वह भी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी । क्लास में जब भी उसे टाइम मिलती थी। मुझसे थोड़ी बहुत बातें कर ही लिया करती थी।
बबीता मुझ से हमेशा पूछती थी, “तुम्हारा कोई गर्लफ्रेंड है या नही?”
तो मैं मुस्कुरा कर ना कह देता था। मेरे क्लास में एक ज्योति नाम कि लड़की थी। वह बबीता से बिल्कुल विपरीत थी। ना किसी से ज्यादा बातें करती थी और नही किसी लफड़ों में पड़ती थी ।
मुझे ज्योति बहुत अच्छी लगती थी। मैं ज्योति को पसंद करने लगा था। शायद वह भी मुझे पसंद करती थी । मैं जब भी क्लास में अकेला रहता तो वह मुझ से बातें जरूर करती थी। और पढाई के समय भी उसकी एक नजरे मेरे तरफ ही टिकी रहती थी।
ज्योति को मालूम थी कि मैं उससे प्यार करता हूँ । बस हम दोनों ने अभी तक एक दूसरे को प्रपोज नही किया था।
मुझ में इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि मैं उसे प्रपोज कर पाता। मैं कई दिनों से ज्योति को प्रपोज करने का तकरीव खोज रहा था परन्तु मैं असफल था । फिर एक दिन मेरे दिमाग में ख्याल आया, ” क्यों ना ! अपनी लव लेटर बबीता के हाथों ज्योति से दिलवा दूँ! “
यह आईडिया मुझे अच्छा लगा । वैसे भी बबीताएक दम विंदास लड़की थी। पूरी क्लास के लड़कों को सेटिंग करवाने के लिए फेमस थी ।
मैं अगले दिन स्कुल थोड़ा जल्दी चला गया था। क्योंकि मुझे ज्योति के बारे में उससे कुछ बात करनी थी। मैं स्कूल के अंदर वाली सीढ़ियों पर बैठ कर बबीताके इंतजार कर रहा था।
अचानक से मेरे आंखे चमका , मैं खुशी से झूम गया । मेरे आस -पास रोमांटिक गाने की धुनें सुनाई पड़ने लगा । क्योंकि मेरे सामने से ज्योति आ रही थी । मुझे लगने लगा भगवान मेरी सुन ली हैं । वह खुद मेरे पास ज्योति को मुझसे मिलने भेज रहा हैं।
वह मेरे पास आयी। मैं उसे देख कर मुस्कुराया लेकिन उसने मेरे मुस्कान पर कोई रिएक्ट नही किया ।
” मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।” ज्योति मुझ से थोड़ी गंभीर हो कर बोली।
मुझे उसकी बात सुनकर बहुत खुशी हुई। मुझे लगने लगा ज्योति खुद मुझे प्रपोज करने वाले हैं ।
परन्तु ज्योति ने उसके बाद जो बोला उसे सुनकर मेरी पैर तले जमीन खिसक गयी थी। वह मुझसे से काफी नाराज थी। उसे किसी से पता चला था कि मेरा अफेयर बबीता से चली रही हैं।
” मैं तुम्हे बहुत अच्छा लड़का समझता था , इसलिए तुम्हे पसंद करने लगी थी। लेकिन ये पता नही था कि तुम इतने गिरे हुए इंसान निकलोगे। मुझे तुमसे नफरत सी हो गयी हैं।” वह बिना रुके ये सारी बातें बोलती रही ।
वह मुझे इतनी समय भी नही दे पायी कि मैं कुछ सफाई दे पाऊं। मेरा सारा सपना वहीं टूट कर सड़कों पर बेजान से चित होकर बिखर रहा था। मैं कुछ उसे बोल पाता तब तक वह रोती हुई क्लास के तरह चली गयी ।
उस दिन के बाद वह मेरी तरफ कभी नजर नहीं घुमाई । मैं उससे कई बार बात करने की कोशिश किया परन्तु वह बिना जवाब दिए ही चली जाती थी।
मुझे अपनी गलती समझ नही आ रहा था। आखिर मेरी क्या गलती थी? आखिर बबीता तो सभी लड़कों से बात करती थी । शायद उसके कई लड़के से अफेयर भी था । लेकिन मेरा तो उसके साथ कोई लेना – देना नहीं था ना ! और अभी तक किसी ने यह सत्यापन भी नही किया था की बबीता का संबंध कई लडको से हैं । सिर्फ सभी से हंस कर बात कर लेने से कोई थोड़े ना बुरा या गंदा हो जाता हैं ।
चलो मैं ये बात मान भी लेता हूँ , बबीता का संबंध केमिस्ट्री वाले सर से था। तो इसमें मेरा क्या गलती थी? ये सारी बातें सोच – सोच कर परेशान रहने लगा। अगर बबीता से मुझे बात करना उसे अच्छा नहीं लगता था तो वह मुझे मना भी तो कर सकती थी। उसके लिए तो मैं सारी दुनिया से बात करना छोड़ सकता था फिर बबीता से क्यों नही ?
मैं ज्योति को बहुत प्यार करने लगा था। जिसके कारण उसके नाराजगी हमसे सहा नही जा रहा था। इसलिए मैंने अपने घर वालों से बोल कर अपना स्कुल बदलवा दिया और मैं दूसरे विद्यालय में पढ़ने जाने लगा।
यहाँ आने के बाद भी उसकी यादें सता रही थी । परन्तु उसे किस मुंह से याद करता उसने मुझे चरित्रहीन जो साबित कर रखी थी।
कुछ महीने बाद मुझे एक दोस्त ने बताया था , ज्योति को उस स्कुल से निकाल दिया गया हैं जिस स्कुल में मैं और वो पढ़ते थे। क्योंकि उसके दो लड़कों के साथ गलत संबंध के बारे में प्रिंसिपल को पता चल गया था।
यह सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ क्योंकि मुझे उससे कभी ऐसी उम्मीद नहीं थी। जो मुझे चरित्रहीन साबित कर दी थी। वह खुद ही ऐसी लड़की निकली । मुझे अपनी पसंद पर घृणा आने लगा।
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