Dhanterash Bhai । धनतेरस भाई । हास्य कहानी

Author - Avinash Kumar

अगर बरात में लड़की वालों ने खाने में कम से कम 8-10 आइटम खाना ना दिया हो तो वह वापस लौटते समय लड़की वालों को पूरी रास्ते कोसता आता था। उसे बरात का मतलब ही खाना समझ आता था ।
वह जल्दी किसी की बारात जाना नही छोड़ता था ।

वह अपनी उम्र में सिर्फ एक बार बरात छोड़ा था जब वह बहुत बीमार था और अस्पताल में भर्ती था लेकिन फिर भी उसने बरात जाने के लिए पूरी एड़ी- चोटी लगा दिया था परंतु पैर टूटी रहने के कारण उसे अस्पताल से छुट्टी नहीं मिली थी । जिसके कारण वह बरात में नहीं जा सका , उस दिन वह अपने रिश्तेदार को बहुत बुरा भला कहा था और लोगो को कहता था वह जानबूझकर इस समय शादी कर रहा है ताकि मैं उसके बारात में ना जा सकूं।

अरे ! नहीं तो इस महीने में कौन शादी करता है ।
वह पूरी लगन अंगुलियों पर गिन कर बता दिया की अगर इस महीने के बाद शादी करता तो क्या हो जाता ।
इसका नाम है , ” धनतेरस भाई ” लोग कहते हैं इनका जन्म धनतेरस के दिन हुआ था इसलिए लोग इन्हें धनतेरस कहते हैं । यह कुल 5 भाई हैं जब धनतेरस का जन्म होने वाली थी तब पूरे परिवार कि इच्छा थी कि इस बार चारों भाइयों के लिए कम से कम एक बहन का जन्म हो जाए । परन्तु इस बार भी बहन की जगह भाई ने जन्म लिया । और तब से भाई शब्द इसके नाम के साथ जुड़ गया और अब लोग इन्हें प्यार से धनतेरस भाई कहते हैं ।

वैसे धनतेरस को खाने पीने का शौक बचपन से ही है लेकिन 8-9 साल की उम्र के बाद से भोजन के प्रति इनका जो भूख बढ़ा वो आज तक खत्म ही नहीं हुई है । शादियां विवाह में तो रसगुल्ले ऐसे खाते हैं जैसे रसगुल्ले कोई एक चीनी के दाने के बराबर हो और पूड़ियाँ के बारे में तो पूछिए मत कीजिए ! एक- एक पूरी का एक-एक निवाला बनाता था ।

2 दिन पहले भी उसके दोस्त अमर का विवाह था । धनतेरस भाई बरात जाने के लिए 2 दिन पहले से ही भोजन थोड़ा-थोड़ा खा कर पेट को खाली रख रहे थे ताकि बरात में सभी व्यंजनों का आनंद लिया जा सके ।
बारातियों की गाड़ी जैसे ही लड़की वाले के पास पहुंची सबसे पहले धनतेरस भाई खाने की पूरी व्यवस्था देखने चला गया । खाने की व्यवस्था देख कर वह अंदर ही अंदर गदगद था। आधे घंटे के बाद बारातियों को नाश्ते के लिए बुलवाया गया । उसके बाद जो खाने की होड़ लगी वह देर रात चलती रही । धनतेरस भाई बस खाने पर टूट पड़ा था । रुकने का नाम ही नहीं रहा था बस खाये ही जा रहा था ।

इस बार भी धनतेरस भाई पानी पूरी , गोलगप्पे , लिट्टी -चोखा के अलावे पूरे आइटम का स्वाद चखा । रसगुल्ले तो पूरे गर्दन तक ठूंस लिया था । भोजन इतना खा लिया था कि उसे चलने फिरने में भी दिक्कत हो रही थी। भोजन करने के बाद वह चुपचाप आराम से जलमसा में जाकर सो गया । आधी रात के बाद लड़की वाले एवं लड़कों वाले के बीच में थोड़ी बहुत मनमुटाव हो गया और तू-तू मैं-मैं हो गया । और बातों ही बातों में दोनों तरफ से लड़ाई शुरू हो गई । और देखते ही देखते लड़की वालों की तरफ ने लाठी डंडों से पिटाई शुरू कर दिया ।

बेचारे सभी बारातियों जैसे-तैसे वहां से भागने में कामयाब रहा परंतु धनतेरस भाई इतना भोजन कर लिया था की उसे हिलने -डुलने में भी नहीं बन रही थी और उसे भागने की बात तो दूर की बात है , उसे उठा भी नहीं जा रहा था । फिर क्या था ! कुछ लोग वहाँ आया और धनतेरस भाई को पकड़ कर जमकर पिटाई कर दी । सभी बरातियों की गुस्सा बेचारे धनतेरस भाई पर उतार दिया उन्हें इतना लाठी डंडा मारा की आंखों के नीचे काले – काले घेरे आ गए । और एक पैर भी टूट गया ।

बेचारे फिर से अस्पताल में भर्ती हो गया । और तब से बेचारे धनतेरस भाई कसम ही खा लिया की अब से बारात नही जायूँगा । और अगर गलती से चला भी गया तो खाने में सिर्फ़ एक पूड़ी ही खाऊँगा ।
उस पिटाई से बेचारे की जमकर खाने की आदत भी छूट गई ।

 

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