Author - Avinash Kumar
आज दूसरी बार घर को इतनी सजाई जा रही है , जब पहली बार बहू घर आई थी तब इसी तरह से घर को सजाई गई थी और आज बहु M.L.A. बन कर घर आ रही है तब ।
पूरे घर में खुशी के माहौल है सभी समर्थक आज सुबह से ही घर पर आए हुए हैं और सभी समर्थकों के हाथों में बड़े-बड़े फूलों की माला है। सभी लोग दरवाजे के पास खड़ी होकर बहु के आने की इंतजार कर रही हैं ।
सुबह के 11:00 बज रहे थे तभी अचानक से एक चमचमाती लग्जरी गाड़ी आकर रूकती है और सभी समर्थक उस गाड़ी के चारों तरफ से घेर लेते हैं । कुछ समय बाद उस गाड़ी से छोटी बहू बाहर निकलती है । कीमती साड़ी , आंखों में काला चश्मा और गले में लदे हुए फूलों का माला ।
जब बहू पहली बार घर आई थी तब पूरे घर में कुछ ऐसा ही माहौल था। बस उस समय आंखों पर काला चश्मा नहीं थी और चेहरे थोड़ी घूंघट से ढकी हुई थी ।
उस समय बहू गाड़ी से बाहर आकर सभी को पैर छूकर प्रणाम की और आज सभी लोगों को एक हाथ उठाकर अभिनंदन किया । जब मैंने नजरें घुमाया तो मेरी नजर मेरे इकलौते बेटे राजू पर पड़ गया । राजू अपने दाएं हाथ में एक लेडिस पर्स और कुछ मेकअप सामान लेकर दूसरी गाड़ी से बाहर निकला ।
बेचारे का चेहरा ( MLA ) सांसद पति जैसा तो नहीं लग रहा था ; पर हां ! विपक्ष में हारे हुए नेता जैसे जरूर लग रहा था । बहु सभी को अभिनंदन करने के बाद घर के अंदर चली गई ।
धीरे-धीरे सभी समर्थक वहां से अपने अपने घर चला गया कुछ समय बाद मैं भी घर के अंदर चला गया । मैं चुपचाप एक कुर्सी पर जा कर बैठ गया और हर दिन की तरह आज भी एक कप चाय का इंतजार करने लगा । आधे घंटे बीत जाने के बाद भी चाय नहीं आई तो मैंने चाय के लिए आवाज लगाई ।”
लेकिन यह क्या ! किचन से राजू का आवाज आया ,” पापा ! मैं जल्द ही चाय लेकर आ रहा हूं “
मेरा तो दिल ही बैठ गया , घर में ऐसा पहली बार हो रहा था की बहू के रहते हुए बेटे को चाय बनानी पड़ रही थी ।
खैर ! अब तो बहु सांसद (MLA) बन गई थी । राजू चाय लेकर आया और देते हुए बोला ” पापा हम जल्द ही एक नौकर रख लेंगे , अब पैसे की कमी तो होगा नही “
मैंने भी सर हिलाकर सहमति भर दिया और चाय की चुस्की लेने शुरू कर दीये ।
अभी चाय खत्म भी नहीं हुई थी की मेरा नजर राजू की मां पर पड़ गया । वह नल के पास पहुंचकर बर्तन धो रही थी ।
मुझे यह देख कर रहा नहीं गया ।
मैंने बोला, ” घर का सब काम तुम लोग ही करोगी तो बहू क्या करेगी “
राजू की मां बर्तन धोते हुए बोली ” अरे ! अब तो बहू MLA(सांसद ) हो गई है ना ! अब थोड़े ना वो चूल्हा-चौकी करेगी ! उसे तो फाइल पर ही दस्तख़त करते – करते ही समय बीत जाएगा । और ऐसे भी MLA को तो सिर्फ कागज पर ही काम करना आता है ना ! “
राजू की मां का यह बात सुनकर मेरा करेजा कांप उठा और मैं भी डर गया कि कहीं मुझे भी झाड़ू लगाना ना पड़ जाए।
” पापा – पापा … पाप …. आप कहाँ हैं ? ” यह छोटी बहू की आवाज़ थीं ।
मैंने मुड़कर देखा तो छोटी बहू अपने हाथों में झाड़ू लेकर मेरी तरफ चली आ रही थी । मैं डर से चिल्लाते हुए भागा ” नहीं …. नहीं ….. नहीं … मैं झाड़ू नहीं लगाऊंगा । मुझसे इस उम्र में यह सब नहीं होगा । नहीं ….. मैं झाड़ू नहीं लगाऊंगा … नहीं लगाऊंगा…. “
फिर अचानक से मेरी नींद टूट गई और मैं नींद से जाग गया । मैंने कमरे से बाहर आकर देखा तो सब कुछ नॉर्मल था । किचन में बहु खाना बना रही थी और बच्चे आंगन में खेल रहे थे । खिड़की से बाहर झांक कर देखा तो कोई भी लग्जरी गाड़ी नहीं थी । मैं समझ गया यह एक खतरनाक सपना था और भगवान से मन ही मन प्रार्थना किया कि भगवान कभी ऐसा सपना मत दिखाना।
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