Mohalle Wali Pyar। मोहल्ले वाली प्यार। हिंदी कहानी

Author - Avinash Kumar

शाम के पांच बज रहे थे .आसमां साफ़ थी , हल्की ठंढी हवाएं चल रही थी . हम दोस्तों के साथ मोहल्ले में एक छोटी – सी मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे . मैं छोटी -सी मैदान इसलिए बोल रहा हूँ क्योकि वह खेलने वाली मैदान नही थी बल्कि मकान बनाने वाली जमीन थी जिसके चारो ओर 2 फिट ऊँची दीवार कर के फ़िलहाल छोड़ दी गयी थी . मेरे हाथ में बल्ला था और मेरा  दोस्त बॉल फेंक रहा था . बॉल तेजी  से मेरे पास आया और मैंने उसे चौका मारने के लिए बॉल पर जोरदार प्रहार किया . 

 बॉल सीधा पम्मी आंटी के घर के अंदर चला गया . पम्मी आंटी मेरे मोहल्ले के सबसे प्यारी और सबसे अच्छी आंटी थी . वह मोहल्ले के सभी बच्चे को काफी प्यार करते थे .उनके दो बेटे और एक बेटी भी हैं जो अपने फैमली के साथ मद्रास में ही रहते हैं और वहां कोई सरकारी नौकरी करते हैं .जिसके कारण उनलोगों का यहाँ आना -जाना बहुत कम ही होती थी  . वैसे उनलोग पम्मी आंटी को भी वहां लेकर जाना चाहते थे  परन्तु आंटी  घर छोड़ कर मद्रास जाना ही नही चाहती थीं  . जिसके कारण आंटी यही रहती थी  और मकान को किराये पर देती थी . 

मैं बॉल लेने के लिए पम्मी आंटी के घर के अंदर गया . मैं अपनी नजरे को इधर-उधर दौड़ा रहा था तभी मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी जो छत पर धुप में कपडे सुखाने के लिए रख रही थी . 

सूरज के किरने उसकी गालों पर पड़ रही थी जिसके कारण उसके गाल किसी सूरजमुखी के फुल जैसी खिल रही थी .पीली दुप्पटा हवा के हल्की झोखों के साथ उड़ रही थी और उसके  बालों  के लट गाल पर आकर उसके गालों को छू रहा था . उसे देखते ही ऐसा लगा – पूरी दुनियां थम -सी  गयी हैं और समय वही के वही रुक गयी हो .मेरी नजर उसके चेहरे से हट नही रही थी .वह बहुत प्यार से कपड़ो को निचोड़ कर उस से पानी निकाल रही थी .अचानक  उसकी नजर मुझ से मिली या फिर नजर मिलने कि मुझे गलतफहमी हुई ये पता नही परन्तु वह मुझे देख कर चौक गयी , मगर मैं उसे देखता ही रहा .

    वह कपड़े को  धुप में डाल कर मुझे गुस्से वाली नजरो से घूरती हुई चली गयी .लेकिन मैं वही मूर्ति जैसा खड़ा रहा . तब तक वहां  मेरे पास मेरे  दोस्त लोग भी आ गये थे . सब लोग हैरान थे .

” यार ! तुमको  इतने समय से एक गेंद भी नही मिल पायी ? गजब हैं भाई ! ” मेरे एक मित्र ने नाराजगी दिखाते हुए बोला .

” अरे यार ! ढूढ़ ही तो रहा हूँ .”

मुझे ये बोंलते – बोलते पम्मी आंटी वहां आ गयी और आकर बोली , – बेटा क्या हुआ ?

” आंटी इधर हमलोगों के गेंद आई हैं , उसे ही ढूढ़ रहा हूँ परन्तु मिल नही रही हैं .” मेरे एक मित्र ने कहा .

 ” रुको , मैं देखती हूँ .”

आंटी कुछ ही मिनट बाद गेंद को अपने हाथ में लेकर हमलोगों  के पास आई . इसके बाद सभी मित्र मुझे डांटने लगे और बोला , – यार तुम्हे एक गेंद भी दिखाई नही देता .

अब इन वेबकूफों को कौन समझाये कि मुझे बॉल के जगह एक चाँद दिख गयी थी और इतने देर से मैं  उसे ही निहार रहा था .

खैर , मैं दोस्तों के साथ मैदान में आ गया . अब मैं क्रिकेट खेल जरुर रहा था परन्तु मेरी ध्यान उसी लड़की पर टिकी थी .

आखिर वो कौन थी ? इससे पहले मैं उसे इस मोहल्ले में या उस बिल्डिंग में कभी नही देखा था  . उसके बारे में कुछ अपने दोस्तों से पूछ -ताछ किया . मेरे एक दोस्त आदित्या ने बताया कि वह इस मोहल्ले में कल ही आई हैं उसके पिता किसी बैंक में कलर्क हैं और इससे पहले वे लोग कोडरमा में रहते थे .

मेरे लिए उसके बारे में इतनी जानकारी काफी थे. मैं अगले दिन पम्मी आंटी के घर पहुँच गया . वो लड़की इनके ही घर के 2nd फ्लोर पर रहती थी . अच्छी बात ये थी कि पम्मी आंटी भी अपने लिए एक फलैट उसी फ्लोर पर रखी हुई थी जिसमें वो रहती थी .

मैं कोरिडोर से होते हुए उनके कमरे कि तरफ जा रहा था . अचानक से मैं एक बार फिर उसे देख कर चौक गया . हाथ में एक चाय के प्याली ली हुई थी .वह एक टक मुझे देखी और वह फिर वो भी पम्मी आंटी के कमरे कि ओर चल दिया . कुछ मिनट बाद हम – दोनो आंटी के सामने बैठे थे .

” ये स्मिता हैं. कल ही यहाँ शिफ्ट हुई हैं .” आंटी ने उसके बारे में मुझे कुछ बिना पूछे ही बता दी .

” हेल्लो ” आंटी कि बात सुनकर उसने मेरी तरफ देख कर बोली .

उसके हेल्लो के बदले मैं भी हल्की मुस्कान के साथ हेल्लो बोल दिया . कसम से , सुबह कि सूरज के किरणों  से कही ज्यादा चमकीले  उसकी आंखे थी , गुलाब से ज्यादा गुलाबी उसके होठ थे और गाल किसी कश्मीरी सेब से कम लाल नही थे.

मैं तिरछी नजर से उसे देख रहा था .तभी उसकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ा . मैं झट से अपनी नजर दूसरी ओर फेर लिया . कुछ समय वहां बैठने के बाद मैं अपने घर चला आया . मैं पम्मी आंटी के घर तो अकेला गया था परन्तु वापस आते वक्त अपने दिल में स्मिता कि तस्वीर दिल में कैद कर लाया था .

                                                    

अब उसे यहाँ आया हुआ 2-3 महीने हो चुके थे . हम दोनों में दोस्ती भी हो चुकी थी .अब हम दोनों कभी -कभी एक साथ उसके छत पर बैडमिंटन भी खेल लिया करते थे.

 मैं उसके लिए एक दोस्त से ज्यादा कुछ था या नही , ये तो मुझे  मालूम नही थी . परन्तु ये बात  पक्की थी कि वह मेरे लिए एक दोस्त से बढ़ कर कही ज्यादा थी . मैं उसे प्यार करने लगा था . अब उससे बिना मिले या बिना बात किये एक पल रहना भी मुश्किल होने लगा था .

एक दिन मैं स्कुल से वापस आकर अपने कमरे में ड्रेस बदल रहा था तभी मेरे कमरे में मेरा छोटा भाई आया और उसने बताया , – स्मिता दीदी कि तबियत सुबह से ही खराब हैं  .

मैं सुनकर नर्वस सा हो गया और उससे मिलने के लिए मेरा दिल बेचैन हो उठा . मैं ड्रेस को पूरी तरह से नही खोल पाया था जिसके कारण मैं पुनः ड्रेस को पहन कर फ़ौरन उसके घर पहुँच गया.

कमरे में बेड पर स्मिता लेटी हुई थी , बगल में उसकी मां कपडे को पानी से भिंगो कर उसके सर पर रख रही थी . उसके सबसे छोटा भाई बेड के नीचे नीली-पीली छोटे से प्लास्टिक के गाड़ी से खेल रहा था.

” आंटी , स्मिता को क्या हुआ ? ” मैं कमरे में पहुँचते ही उसकी मां से पूछा .

” बेटा , आज सुबह से ही स्मिता को बुखार लगी हुई हैं .”

” तो आपने डाक्टर से दिखाया ? “

” हाँ , बेटा डाक्टर ने कहा हैं घबराने कि कोई बात नही हैं . बस मौसम बदलने के कारण ऐसा हुआ हैं . जल्द ही ठीक  हो जाएगी .”

आंटी कि बात सुनकर मुझे सुकून मिला  . शाम हो रही थी स्मिता के पिता जी को भी ऑफिस से वापस  आने का समय हो रहा था . आंटी मुझे बेड पर बैठने के लिए बोल कर वह खुद अंकल के लिए नाश्ता तैयार करने किचन को ओर  चली गयी .

इतने दिनों में स्मिता के घर वालो और मेरे घर वालों में काफी अच्छी जान -पहचान हो गयी थी .

उसके घर में  मैं , मेरे भाई या मेरी मम्मी अक्सर वहां जाया करते  थे  .वो लोग भी मेरे घर आते -जाते रहते थे .

आंटी को किचन तरफ जाने के बाद मैं बेड पर वही बैठ गया . स्मिता अपने आँखे बंद की हुई थी . मैं बेड पर बैठ कर कुछ सोच रहा था तभी  अचानक से मेरे हाथ को किसी ने छुआ . जब मैंने देखा तो वह स्मिता थी . वह मेरे हाथ को स्पर्स कर मुस्कुरा रही थी .

” हेल्लो , कैसी हो ? ” मैं उसे मुस्कुराता देख खुश हो कर पूछा .

“अब ठीक हूँ “

” क्या हो गया था ? “

” पता नही .” उसने मेरे हाथों को दबाते हुए बोली .

अभी तक उसके उँगलियाँ मेरे उंगुलियां के  स्पर्श में ही थे .

” और तुम यहाँ स्कुल ड्रेस में कैसे आ गये हो ? उसने बोली .

” मैं इसे बदलने वाला ही था कि पता चला तुम बीमार हो तो तुमसे मिलने भागता चला आया ” मैं थोडा आवाज दबाते हुए बोला .

” मैं इतनी भी मरी नही जा रही थी ” उसने हंस कर बोली .

उसके चेहरे पर हंसी देख कर मेरे चेहरे भी खिल गया .                

                                                                   *  

दोपहर के दो बज रहे थे . जून के महिना होने के कारण गर्मी अधिक थी . गलियों में एक परिंदे भी ना थी . लू गलियाँ में दौड़ रही थी . गर्मी के कारण स्कुल में भी छुटी हो चुकी थी .जिसके कारण मैं घर पर ही था और स्कुल का होम वर्क पूरा कर रहा था .उसी वक्त स्मिता का छोटा भाई मेरे पास आया और बोला  , – भैया , आपको स्मिता दीदी बुला रही हैं .

 मैं उसके भाई के बात सुनकर उसके घर स्मिता से मिलने चला गया .और स्मिता का भाई वही मेरे घर में ही  मेरे भाई के साथ कैर्मबोर्ड खेलने लगा . ये स्मिता से छोटा हैं जबकि इससे छोटा भी एक और भाई हैं उसके .  ये अक्सर मेरे भाई के साथ ही खेलता रहता था यूँ  कहें यह मेरे छोटे भाई एक दोस्त बन गया था .

 मैं स्मिता के घर पहुँच गया .वह T.V. पर ऋतिक रोशन के फिल्म ” कहो ना प्यार हैं ” देख रही थी .

मुझे वहां पहुँचते ही वह टीवी को बंद कर दी .और उसने मुझे बैठने का इशारा किया .

” तुम मुझे बुलाई हो ? “

” हाँ . डिस्टर्व हुआ क्या ? “

” नही , अंकल – आंटी घर पर नही दिख रहे हैं ? ” मैंने अपने आँखों से पुरे घर को स्कैन करते हए बोला .

” मम्मी – पापा मामा के घर गये हैं . शायद शाम तक वापस आएंगे .”

” बैठो … ” उसने एक बार फिर बैठने का इशारा किया .

घर में कोई नही था सिवा स्मिता , स्मिता अकेली थी .उसे देख कर मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था . मैं कुछ नही बोल पा रहा था .तभी स्मिता कुर्सी से उठ कर खड़े हो गयी और वह मेरे करीब आ गयी .

” क्यों शर्मा रहे हो ? ” उसने मेरे होठों से 2 -3 इंच दुरी बना कर बोली .

” नही , ऐसी कोई बात नही हैं .”

मैं नर्वस था . उसकी आँखे मेरे आँखे से जा मिली . वह मेरे और करीब आ गयी .जिसके कारण मेरी सांसे फूलने लगी . मुझे समझ नही आ रही थी मुझे क्या करना चाहिए .तभी वह हल्की आवाज में मुझे  आई लव यू बोली . मुझे सुनकर यकीन नही हो रहा था . मुझे लग रही थी मैं सपना देख रहा हूँ .

लेकिन जब वह मेरे कन्धों पर अपने हाथ रख कर मेरे होठों से अपनी होठो से चूमा तब मुझे महसूस हुआ कि यह सपना नही बल्कि हकीकत  हैं . मैं भी उसे आई लव यू टू बोल कर गले से लगा लिया .

उस दिन के बाद हम -दोनों एक -दुसरे के जिन्दगी  बन गये . आज उस घटना के पांच साल हो चुके हैं मगर फिर भी हम -दोनों के प्यार में एक तीली -भर भी कमी नही आई हैं .जहाँ तक दिन प्रतिदिन हम लोगो का प्यार और बढ़ता ही जा रहा हैं .

              फ़िलहाल हम दोनों ग्वलियर में एक ही कॉलेज से B.tech कर रहे हैं और काफी खुश हैं . हम दोनों पढाई समाप्त होने के बाद शादी के बंधन में बंधने वाले हैं . इसके सपने हम अभी से ही देखना शुरू कर दिए हैं .

All rights reserved by Author

अपने दोस्तों को शेयर करें

6 thoughts on “Mohalle Wali Pyar। मोहल्ले वाली प्यार। हिंदी कहानी”

  1. Ha because ghar family ki jaan pahchan ho jati h to apni society me bhi abhi is baat ka accha h ki log ye soch kar ignore krte h ki ghar balon ke relationship kharab ho na ho bite kux dino pahle mere saath aisi ki kux ghatna dubara ghatit hui h ladki dwara hi bola gya tha lekin maine use anjam dene se axa usko saamjhakr ignore kr diya😊😊

    Hota h bro but kafi restrictions hoti hai

    Reply

Leave a Comment

error: Content is protected !!