Murkh Bagula Aur kala Naag। मुर्ख बगुला और काला नाग – पंचतंत्र की कहानी

यह कहानी panchtantra ki kahaniya से ली गयी हैं । जिसका लेखक है अनुज शर्मा । panchtantra ki kahaniya एक बहुत ही पुरानी कहानी की किताब है । जिसमे पशु-पक्षियों के कहानियों के माध्यम से बहुत अच्छी सिख देने की कोशिश की गई हैं । मैं आप लोग से अनुरोध करूँगा एक बार आप लोग panchtantra ki kahaniya अर्थात पंचतंत्र की कहानी का पूरा कहानी एक बार जरूर पढ़ें ।

मूर्ख बगुला और काला नाग -panchtantra ki kahaniya

एक जंगल में एक बरगद के वृक्ष पर  सुरभि नाम का एक बगुला रहता था और उसके घोसले के समीप एक काले नाग का बिल था।  बगुला जब भी अपने अंडे से बच्चे को जन्म देता था तब कुछ घंटों बाद यह काले नाग उसके घोसले में जाकर उसकी सभी बच्चों को खा जाता था ।  और इसी प्रकार से काले नाग कई वर्षों से सुरभि बगुले के सभी बच्चों को खाता आ रहा था ।  बगुले अपने बच्चों को बचाने की सभी उपाय कर चुका था । परंतु फिर भी वह अपने बच्चे को बचा पाने में सफल नहीं हो रहा था ।

एक दिन बगुला काफी उदास होकर नदी के किनारे खड़े होकर रो रहा था।  बगुले के रोता हुआ देख पानी से केकड़ा बाहर आकर बोला –  मामा क्या बात है आप क्यों रो रहे हो ?
बगुले ने अपनी दुख भरी कहानी सुनाई और बोला –  मैं इस काले नाग से अपने बच्चों को किसी तरह से बचाना चाहता हूं लेकिन मुझे कोई उपाय नही सूझ रही हैं । अब आप ही कोई उपाय बताओ जिससे मै अपने बच्चों को इस दुष्ट काले नाग से बचा सकूँ ।
केकड़ा बहुत समझदार था उसने सोचा बगुला मेरा पूर्वज से ही बहुत  बड़ा दुश्मन है ।
मैं इसे कुछ ऐसा उपाय बताऊंगा जिससे काले नाग भी मर जाएगा और यह बगुला भी मारा जाएगा ताकि मेरा पूर्वजों से चला आ रहा दुश्मनी भी खत्म हो जाएगा ।

केकड़े ने कहा – तुम मांस के कुछ टुकड़े ले जाकर नेवले के बिल के पास रख दो और कुछ टुकड़े को उसके बिल से लेकर सांप के  बिल तक रखता चला जा ताकि  नेवला मांस खाते-खाते वह साँप के बिल के पास तक पहुंच जाए और वहां काले नाग  को देखकर उसको भी मार कर  खा जाए।
बगुले ने केकड़े की बात सुनकर एक राहत की सांस ली और उसने केकड़े के बताए अनुसार मांस को उसी तरह से जाकर नेवले के बिल के पास रख दिया ।
जब नेवले सुबह बिल से बाहर निकला तो मांस देखर उसे खाने लगा और खाते – खाते वह सांप के बिल के पास तक पहुंच गया उस वक्त सांप भी अपने बिल के पास ही बैठा था उसे देखकर नेवले ने सांप पर टूट पड़ा और सांप को मार दिया ।  चुकी बगुले का घोसला और सांप का बिल दोनों बहुत नजदीक था इसीलिए जब नेवला सांप को मारने के बाद बगुले को भी पूरे परिवार सहित मार कर खा गया ।  इस प्रकार केकड़े के बताए अनुसार करने से सांप और बगुले का पूरा परिवार एक साथ खत्म हो गया ।

तो बच्चों हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें किसी का सलाह बिना सोचे समझे नहीं माननी चाहिए । अगर कोई हमें सलाह देता हो तो उसके सबसे पहले उसके अच्छे परिणाम और बुरे परिणाम को अच्छी तरह से जान लेने के बाद ही उस काम को अंजाम देना चाहिए ।

बच्चों यह panchtantra ki kahaniya से ली गई कहानी मूर्ख बगुला और नाग आपको पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें । आप panchtantra ki kahaniya की सभी कहानी पढ़ें। 

 

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