The Hidden Past। Ep- 01। Suspense & Thriller Story In Hindi

Summary

The Hidden Past  एक Psychological Thriller कहानी है जो आरव नामक  एक युवा पुलिस अधिकारी की कहानी है। जिसे सिज़ोफ़्रेनिया  नामक बीमारी है, वो अपने माता-पिता की हत्या का सच जानने के लिए वो कई वर्षो से परेशान है और उसके लिए वो पुलिस की नौकरी करता है। उसे अपने भीतर सीरियल किलर बल्लू  की आवाज़ सुनाई देती है, जो उसे केस सुलझाने में मदद करने का दावा करती है। जैसे-जैसे वह सीरियल किलर के मामले की गहराई में जाता है, उसे अपने अतीत से जुड़े खतरनाक राज़ उजागर होते हैं।

Author - Avinash Kumar

“तुमने कभी सोचा है कि तुम्हारा असली दुश्मन कौन है? वह व्यक्ति जिसे तुम हर दिन देखते हो, या वह आवाज़ जो तुम्हारे दिमाग में गूंजती है? मैंने हमेशा तुम्हारी मदद की है। सच हमेशा सामने नहीं आता, कभी-कभी उसे खोजना पड़ता है। और तुम्हारे पास उस सच को खोजने का हर मौका है। तुम इस दुनिया में अपना empire खड़ा करने के लिए आए हो।” 

इतना कहते ही वह आदमी अचानक से गायब हो गया और इसी के साथ ही आरव अपने सपने से बाहर आ गया।

आरव अचानक से उठकर बेड पर बैठ गया और खुद से बड़बड़ाते हुए कहा, “ओह! यह empire! पता नहीं मैं किस empire को establish करने के लिए आया हूं? सोता हूं तो empire की बात सुनने को मिलता हूं और जागता हूं 

तो यह बल्लू की आवाज़। ये लोग मेरा दिमाग खराब करके रखें हैं।

शाम का समय था, और सूर्य की हल्की रोशनी आरव के छोटे से कमरे की खिड़की से अंदर झांक रही थी। वो अभी 24 साल का  था और उसने पिछले महीने ही इंस्पेक्टर की नौकरी जॉइन की थी। वो अक्सर पुलिस स्टेशन से आने के बाद शाम में एक हल्की झप्पी ले लिया करता था। 

उसकी दुनिया बस इसी कमरे तक सिमटकर रह गई थी। किताबें, बिखरे हुए कागज़, और एक कोने में पुराना गिटार—यही सब उसके अकेलेपन के गवाह थे। जीवन जैसे रुक सा गया था। पुलिस स्टेशन से घर और घर से पुलिस स्टेशन। बस! उसका यही डेली का रूटीन। 

उसकी आँखों में खालीपन और दिल में एक अजीब सी बेचैनी रहती थी।  

हालांकि आरव का जीवन हमेशा से ऐसा नहीं था। कुछ साल पहले तक, वह भी बाकी युवाओं की तरह सपनों और उम्मीदों से भरा हुआ था। पर समय ने उससे सब कुछ छीन लिया था। 

आरव जब 15 वर्ष के था तभी उसके माता-पिता का हत्या किसी ने कर दिया था। उसकी दादी, जो अब इस दुनिया में नहीं थीं, उसने भी कभी इस बारे में खुलकर बात नहीं की थी।

आज आरव जब उस सपने के बाद उठकर बाथरूम में फ्रेश होने के लिए गया तभी उसे एक आवाज सुनाई दी , “ क्यों मेरे आरव! नींद अच्छी तो आई ना ? चलो मैं आज भी तुम्हें कुछ काम की बात बताता हूं। ऐसी बात जिसे लेकर तुम हमेशा परेशान रहते हो। तुम जानना चाहते थे ना कि तुम्हारे पेरेंट्स की हत्या किसने किया था ? तुम्हें इसका जवाब आज मैं दे रहा हूं तुम अपने दादी के कमरे में जा और वहां देख, तुम्हें कुछ दिखेगा जो तुम्हारे पेरेंट्स के हत्यारे तक लेकर जाएगा।”

इस आवाज को सुनकर आरव ऐसे रिएक्ट किया जैसे उसे अब इस आवाज़ की आदत सी पड़ गई  हो। उसने वॉशरूम में जाकर नल से अपने चेहरे पर पानी डाला और फिर कुछ सोचने के बाद अपनी दादी के कमरे में चला गया, जो पिछले छह महीने से बंद पड़ा था।

कमरे में घुसते ही धूल और पुरानी यादों की महक ने उसे घेर लिया। अलमारी के ऊपर एक पुराना लकड़ी का बक्सा रखा था। आरव ने बक्सा नीचे उतारा और धीरे-धीरे उसका ढक्कन खोला।  

बक्से के अंदर एक पुराना फोटो एलबम और कुछ पीले पड़े कागज़ थे। फोटो एलबम खोलते ही उसकी नजरें एक तस्वीर पर टिक गईं—एक खुशहाल फैमली की तस्वीर थी। उसमें आरव के माता-पिता मुस्कुरा रहे थे।

आरव ने इस तस्वीर को पहले कभी नहीं देखा था। उसने अपने पिता के चेहरे को गौर से देखा, और अचानक उसकी आँखों में आँसू आ गए।  

“ आखिर उस रात क्या हुआ था डैड?  मॉम, आप लोगों ने मुझे ऐसे छोड़ कर क्यों चले गए?” उसने फोटो को देखते हुए खुद ही से सवाल किया।

तस्वीरों के साथ ही कुछ न्यूज़ आर्टिकल्स के कतरनें पड़ी थीं। आरव ने उन्हें उठाया और पढ़ने लगा। एक news clippings  में लिखा था:  

“युवा दंपत्ति की Suspicious परिस्थितियों में हत्या। पुलिस ने जांच शुरू की।”

आरव का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसके हाथ काँपने लगे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या महसूस करे—दुख, गुस्सा, या हैरानी। 

इसके बाद आरव ने सारी clippings को ध्यान से पढ़ा। हर clippings में उसके माता-पिता की हत्या का जिक्र था। लेकिन किसी में यह नहीं लिखा था कि उनके हत्यारे कौन थे। और यही सच्चाई जानने के लिए वह पिछले 9 वर्षों से परेशान था और अपने पेरेंट्स के हत्यारे को पकड़ने के लिए ही उसने पुलिस की नौकरी ज्वाइन की थी मगर अब तक वह अपने पेरेंट्स के हत्यारे को नहीं पकड़ पाया था। 

आरव को याद आया कि उसकी दादी अक्सर एक नाम लेती थीं—”शेखर अंकल”। 

वह शायद उसके पिता के करीबी दोस्त थे। आरव ने तय किया कि वह अब किसी भी Situation में अपने पेरेंट्स के हत्यारे को पकड़ कर रहेगा और सबसे पहले शेखर अंकल से बात करेगा।  

अगले दिन, आरव ने शेखर अंकल का पता निकाला और उनके घर पहुंचा। शेखर, जो अब लगभग साठ साल के थे, उसे देखकर हैरान रह गए। “आरव! तुम यहाँ कैसे?”  

आरव ने धीरे-धीरे अपनी बात रखी। उसने शेखर से पूछा, “क्या आप मेरे माता-पिता के बारे में कुछ जानते हैं? उनकी मौत के बारे में?”  

शेखर के चेहरे का रंग बदल गया। वह कुछ पल के लिए चुप हो गए, फिर उन्होंने कहा, “आरव, यह कहानी बहुत पुरानी है, और यह उतनी सीधी नहीं है जितनी तुम सोचते हो। तुम्हारे माता-पिता बहुत नेक इंसान थे, लेकिन उनके दुश्मन भी थे।”  

आरव ने सवाल किया, “दुश्मन? कौन?”  

शेखर ने गहरी सांस ली और कहा, “इस बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। पर एक बात तय है—तुम्हें सतर्क रहना होगा। जो सच तुम्हें जानना है, वह बहुत Dangerous हो सकता है।”  

शेखर की बातों ने आरव के मन में और सवाल खड़े कर दिए। उसने महसूस किया कि यह सफर आसान नहीं होगा। लेकिन एक बात साफ थी—वह अपने माता-पिता के हत्यारों को ढूंढे बिना नहीं रुकेगा वाला था ।  

कमरे से बाहर निकलते वक्त शेखर ने एक पुरानी डायरी आरव को दी। “यह तुम्हारे पिता की है। शायद इसमें तुम्हें कुछ सुराग मिले।”  

आरव ने उस डायरी को अपने बैग में रखा और घर की ओर चल दिया। उसके मन में अब शेखर अंकल की बात गूंज रही थी कि तुम्हें सतर्क रहना होगा।

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