WRONG NUMBER। रॉंग नम्बर। हिंदी कहानी

Author – Avinash Kumar

 

वैसे तो मुझे सुबह देर तक सोने की आदत नहीं है लेकिन आज रात व्हाट्सएप,फेसबुक के चक्कर में कुछ ज्यादा ही जागता रह गया था ।

जिसके कारण आज सुबह नींद टाइम से नही खुल पायी थी । जब मैं सुबह बेड पर सो रहा था तभी अचानक मेरे मोबाइल की रिंग बजी । रिंग की आवाज सुनकर थोड़ी चिढ़ -सी हुई पर किसी तरह बेड से उठकर कॉल रिसीव किया ।
मैंने बोला, “हेल्लो “

“अब तक सो रहे हो ? ” कॉल पर उधर से किसी लड़की की आवाज आई ।

मैंने सोचा कोई अपनी ही फैमिली की होगी तो मैंने कह दिया, “हां ! अब तक सो रहा हूं ।”

इतना बोलने के बाद कॉल की दूसरी तरफ से मुझे डांटने की आवाज सुनाई देने लगी, “तुम हॉस्टल में पढ़ने के लिए गए हो या दिन भर सोने के लिए! अगर तुम इतना सोओगे तो एक्जाम कैसे क्लियर कर पाओगे ? रुको , मैं अभी पापा को कॉल करके बताता हूं कि आपका लाडला अब तक सो रहा है।”

मैं इन बातों को खामोश होकर सुनता रहा । मुझे यह समझ में नहीं आ रही थी कि मैं कब से हॉस्टल में रह रहा हूं और कौन सा एक्जाम क्लियर करना है ।
खैर ! अब तक मुझे पूरी तरह से समझ में आ चुका था कि यह किसी रॉन्ग नंबर की कॉल आ रही है ।
मुझे चुप देखकर वह फिर बोली, “इतने चुप क्यों हो ? क्या हुआ ? “

अब मुझे भी रहा नहीं गया और मैंने साफ-साफ सब कुछ बता दिया, ” आपने रॉन्ग नंबर पर कॉल किया है । मैं आपका कोई भाई -वाई नहीं हूँ। “

यह सुनकर वह सन्न रह गई और कुछ देर मौन रहने के बाद बोली, ” सॉरी , मैंने अपने भाई के पास कॉल की थी । न्यू एंड्रॉयड फोन रहने के कारण मेरे मोबाइल में भाई का नंबर सेव नहीं था जिसके कारण गलत नंबर डायल हो गई । मुझे माफ कर दो “

“ठीक है , कोई बात नहीं । लेकिन आपने तो मेरी दिन ही खराब कर दी । बेवजह सुबह-सुबह डांट लगा दिया आपने ।”

उसने माफी मांगने के बाद कॉल डिस्कनेक्ट कर दी । लेकिन सच कहूं ? उससे बात करके बहुत अच्छा लग रहा था । उसका डांटना गजब की अपनापन महसूस करवा रहा था ।

इसके बाद मैंने इन सब से ध्यान हटाकर ऑफिस के लिए तैयार हुआ और उसके बाद 9:15 बजे ऑफिस पहुंच गया । लेकिन आज ऑफिस में भी मन नहीं लग रही थी । कुछ सुना – सुना सा महसूस हो रहा था।

मुझे उस से दूबारा बात करने का दिल कर रहा था और ऑफिस में ज्यादा काम नहीं होने के कारण बोरिंग भी महसूस हो रही थी ।
मैंने अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर उसकी नंबर पर कॉल करने की सोचा लेकिन मुझे कॉल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
“पता नहीं वह मेरे बारे में क्या सोचेगी ” यह सोच कर मैं कॉल नहीं कर पा रहा था।

मैं अपने मोबाइल को टेबल पर रखकर कुछ काम करने लगा कुछ समय बाद अचानक मेरे मोबाइल की स्क्रीन लाइट जली और SMS आने की आवाज आई।
वैसे मैं SMS पर ध्यान नहीं देता हूँ । लेकिन यह s.m.s. उसी नंबर से थी जिस नंबर से सुबह कॉल आई थी । मैंने झट से अपने मोबाइल का पैटर्न लॉक को खोला और मैसेज को देखा।
ये क्या! उसने फिर से सॉरी लिख कर भेजी है।
अब मुझे भी उससे बात करने का अच्छा मौका मिल चुका था और मैंने भी उसे मैसेज का रिप्लाई कर दिया ।
उसके बाद s.m.s. की बाढ़-सी आ गई । और दिनभर एक दूसरे को एसएमएस भेजते रहे । और हम दोनों अगले 4 दिनों तक एस एम एस के द्वारा ही बात करते रहे।

अब शाम Funny SMS से गुजरता तो सुबह प्यार भरी लव SMS से होती । कुछ ही दिनों में हम दोनों एक बहुत ही अच्छा दोस्त बन गए और फोन पर प्रतिदिन घंटे – घंटे बातें भी होने लगी ।

उसने अपना नाम श्रेया बतायी और वह लक्ष्मी नगर दिल्ली में रहती थी। वो उस टाइम ग्रेजुएशन कर रही थी। मैंने भी उसे अपने दिल की सारी बातें बता दिया और उसकी दोस्ती कब प्यार में बदल गई कुछ पता ही नहीं चला ।

मैंने दिन में ही उसकी ख्वाब देखना शुरू कर दिया था और उस से जुड़कर जिंदगी एक हसीन सपना दिखने लगा । मेरी हर सपना में सिर्फ और सिर्फ वो होती थी। उसकी बात गजब की जादू कर दिया था।
हम दोनों ने फोन पर हीं कई वादे किए, जिसमें से एक वादे साथ में जीने मरने की भी थी ।

अब हम दोनों को बात करते करते लगभग 6 महीने से अधिक बीत चुके थे। एक दिन मैंने श्रेया से मिलने की जिक्र किया और उसने भी हामी भर दी। उसकी सहमति सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था ।
हम दोनों ने काफी सोच विचार करके नेहरू पार्क में मिलने के लिए जगह चुना । यह पार्क लक्ष्मी नगर से नजदीक हैं इसलिए उसने भी इसी पार्क का सुझाव दी।

मैं 2 दिन बाद रेलवे की कंफर्म टिकट बुक करा कर दिल्ली के लिए निकल पड़ा। उससे मिलने से पहले ही मैंने कई सपने संजो लिए थे।

ट्रेन पर सारी रात उससे बात होती रही। वह भी मुझसे मिलने के लिए काफी उतावली मालूम पड़ रही थी। हम दोनों को ऐसा लग रहा था काश ! यह रेलगाड़ी हवाई जहाज की तरह तुरंत हमे उसके पास पहुंचा दें ।

अगले दिन 9:00 AM बजे सुबह मैं रेलवे स्टेशन दिल्ली जंक्शन के प्लेटफार्म नम्बर 8 पर खड़ी था ।
मैंने अपने मोबाइल निकाल कर श्रेया के मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो वह फोन पर थोड़ी परेशान दिखी।

मैंने उससे इस परेशानी की वजह पूछी तो वह कुछ बताने से इंकार करती हुई बोली, ” मैं आपको मिलकर बताती हूँ।”

इसके बाद मैं नेहरू पार्क जाने के लिए एक ऑटोैं मे बैठ गया । लेकिन पता नहीं क्यों ? उसे परेशान देखकर मेरे अंदर एक अलग सी डर घर कर गई थी।

” सर! पहुंच गई आपकी मंजिल ” ऑटो ड्राइवर ने मेरा ध्यान भंग करते हुए बोला ।

मैं नेहरू पार्क पहुंच कर उसके नंबर पर कॉल लगाया लेकिन उसका नंबर स्विच ऑफ बताने लगी। मैं काफी परेशान हो गया और बार-बार नंबर पर कॉल करता रहा । लेकिन उसकी नंबर स्विच ऑफ ही बताता रहा ।

लगभग 2 घंटे तक कोशिश करने के बाद भी उसके नंबर पर कॉल नहीं लगी तब मैं थक- हारकर वही चबूतरे पर बैठ गया और उसकी इंतजार करने लगा।

सुबह से शाम होने को आ गई थी लेकिन उसकी कोई अता-पता नहीं थी । अब मुझे यकीन होने लगा था की अब वह आने वाली नहीं है , वह मुझे बेवकूफ बनायी हैं और मुझे धोखा दी है।

लेकिन श्रेया से इतने दिनों तक बात किया और कल तक की बातें याद करता हूँ तो मुझे यकीन नहीं होता कि वह मुझे धोखा दे सकती है । क्योंकि जितना खुशी मुझे श्रेया से मिलने को लेकर थी उतना ही खुशी मुझसे मिलने के लिए उसे हो रही थी।

” आखिर क्या बात होगी जो वह मुझसे मिलने नहीं आई?” यह प्रश्न मेरे दिल बार -बार मुझसे पूछ रही थी।

उसने मुझसे इतने दिनों तक बात किया और आज तक ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि वह कभी मुझे धोखा दे सकती है ।
अब तो इस हालात में मेरे दिमाग भी सही से काम नहीं कर रही थी । मैं वहां से वापस आने से पहले उसको ढूंढना चाहा पर मेरे दिमाग ने इसकी सहमति नहीं दिया और मैं वहां दो दिनों तक इंतजार करने के बाद पुनः अपने घर वापस आ गया।

घर आने के बाद सब कुछ बेगाना सा महसूस हो रहा था । उससे बात किए बिना मेरा दिन ही नहीं गुजार रही थी । इतना कुछ होने के बाद भी, मैं वापस आने के बाद उसके कॉल का इंतजार करता था । सोचता था शायद ! वह कॉल कर दे कभी ।
आज मुझे दिल्ली से लौटा हुआ 3 महीने हो चुका है लेकिन अब तक उसकी कॉल एक बार भी नहीं आई ।

एक रॉन्ग नम्बर ने मेरी पूरी जिंदगी को हिलाकर रख दिया । अब मैं कुछ दिनों से उसे भुलाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन मेरे दिमाग में एक प्रश्न बार- बार आता है, “जब श्रेया अंतिम बार बात कर रही थी तो वह इतनी परेशान क्यों थी ? क्या वह किसी मजबूरी के कारण नहीं आ पाई थी ? अगर हां , तो क्या मजबूरी हो सकती है ? “

खैर ! जो भी हो । मैं उस रॉन्ग नंबर को जिंदगी का सबक नंबर बना लिया हूँ । और जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहा हूं । अब मुझे समझ आ चुकी है कोई नंबर रॉन्ग नहीं होता , इंसान के मकसद रॉन्ग होती हैं ।

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8 thoughts on “WRONG NUMBER। रॉंग नम्बर। हिंदी कहानी”

  1. बहुत ही प्यारी ये कहानी है, अगर ये कहानी वास्तविक है तो भगवान् से दुआ करूंगा कि इन दोनों प्रेमियों को फिर से मिला दे.

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  2. Bahut hi achhi love story hai
    Agar aap dono mil jaate to story
    Complete ho jaati magar pyar na mile to life me kuch kami hamesha rahti hai

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