Summary
ध्रुव की कहानी एक ऐसे युवा की है, जो बचपन से ही अपने माता-पिता से दूर अपने मामा-मामी के घर पला-बढ़ा। अपने करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों द्वारा हमेशा मंदबुद्धि, पागल, साइको और राक्षस कहकर चिढ़ाए जाने पर, ध्रुव के दिल और दिमाग पर गहरा असर पड़ा।
दूसरों के लिए यह सब महज एक मजाक था, लेकिन ध्रुव के लिए यह उसकी जिंदगी का एक कठोर सच बन गया। तानों और उपहास की इन चोटों ने धीरे-धीरे उसकी मानसिकता को इस हद तक बदल दिया कि वह सच में एक साइको और राक्षस बन गया। बाहरी तौर पर वह अब भी इंसान था, लेकिन उसके अंदर का दर्द और क्रोध उसे एक राक्षस बना चुका था।
यह कहानी उस संवेदनशील और मार्मिक यात्रा का वर्णन करती है, जिसमें समाज के तिरस्कार ने एक मासूम बच्चे को कैसे एक भयानक परिवर्तन के रास्ते पर धकेल दिया।
क्या आप ध्रुव की इस अद्वितीय और हृदयस्पर्शी कहानी को जानने के लिए तैयार हैं? पढ़ें और जानें, कैसे समाज के शब्द और व्यवहार किसी के जीवन को पूरी तरह बदल सकते हैं।
Writer – Manish Singh
Editor- Avinash Kumar
प्यार भी अजीब चीज है कब किससे क्या करवा दे कुछ पता नहीं। ध्रुव अपनी मामी को बहुत प्यार करता था माँ की तरह। जब ध्रुव शहर से अपने मामा के गाँव गया तो घर में सब को प्रणाम करते हुए, आंगन के चूल्हे के पास पहुँचा तो देखा कि एक औरत मिट्टी के चूल्हे पर सब्जी बना रही है। उसने जा कर उनको प्रणाम किया।
ध्रुव को प्रणाम करने के बाद उस औरत ने बोली, “खुश रही!”
ध्रुव घर से बाहर निकल कर अपनी नानी से पूछ, “वो औरत कौन हैं?”
ध्रुव की बात सुनकर उसकी नानी ने बोली, “बकलोले बाड़! चिन्हात नईखे, ऊ तोहर मझली मामी बाड़ी।”
(हिंदी अर्थ – बेवकूफ हो! नहीं पहचानते हो क्या वह तुम्हारी मंझली मामी हैं।)
ध्रुव थोड़ी देर के लिए अपने मामा के शादी के दिन याद करने लगा और अपने बचपन मे चला गया। वो भी क्या दिन था। जब शादी के समय मंडप में ध्रुव अपने मामा के साथ बैठा था तो कुछ महिलाएं मजाक कर रही थी तो मामा ने बोला, “ इससे मजाक मत कीजिए नहीं तो ये गुस्सा हो जायेगा और सारा समान फेक कर हाथ पैर पटकने लगेगा।”
महिलाओं ने मजाक नहीं किया। ये बात सुन कर ध्रुव को बुरा लगा कि मैं ऐसा क्यों करूँगा?
उसके बाद अपने मामा की बात सुनकर ध्रुव घर से बाहर निकाल एक चबूतरे पर आकर बैठ गया और वह सोचने लगा, “आखिर मेरे बारे में लोग ऐसा क्यों बोलता है कि मैं गुस्सा करने लगूंगा? मैं भी तो सब बच्चों जैसा ही शांत रहता हूं, मैं भी तो उन लोगों जैसा ही सोचता हूं लेकिन हर बार लोग मुझे बोलते हैं यह गुस्सा करता है. यह और लोगों से अलग है।मैं कैसे अलग हूं?”
ध्रुव को अकेला शांत घर से बाहर बैठा देख उसकी नानी बोली, “क्या सोच रहे हो?”
अपनी नानी की आवाज सुनकर ध्रुव थोड़ा सकपकाया और बोला, “ कुछ नहीं बस ऐसे ही।”
नानी बोली, “जाओ खाना खा लो। उसके बाद बात करते हैं।”
अपनी नानी की बात सुनकर ध्रुव बिना कोई जवाब दिए ही वहां से उठकर दरवाजे की तरफ चल दिया। तभी पीछे से उसकी नानी बोली, “रोको, मैं भी चलती हूँ।”
रास्ते मे नानी ने बोली, “ध्रुव तुम मीट -मछली नहीं खाते हो ना, शहर में लोग रहते-रहते मीट- मछली खाने लगते हैं।”
नानी की बात सुनकर ध्रुव ने झूठ बोल दिया, “ नहीं, मैं नहीं खाता। मैं इन सब चीजों से हमेशा दूर रहता हूं।”
ध्रुव की बात सुनकर नानी को यकीन नहीं हुआ और वो बोली, “झूठ बोलने की जरूरत नहीं है। तुम नॉनवेज खाने लगे हो।”
नानी के घर में कोई मीट मछली नहीं खाता था। ध्रुव के नानी के घर में किसी भगवान की पूजा नहीं होती थी लेकिन वहां मिट्टी की पूजा होती थी और उनके यहाँ एक कमरा देवता का था जिसमें एक कोने में मिट्टी को पूजा किया जाता था।
ध्रुव के मामा के घर में सभी पढ़ा लिखा था और उसके नाना-नानी शिक्षक थे। घर पहुँचने के बाद चापाकल से उसने हाथ मुंह धोया और आंगन में बैठ गया तभी उसकी मम्मी ने खाना लायी और सामने रख कर वही बैठ गई और बोली, “ खाइये।”
ध्रुव की मामी बगल में ही बैठकर गांव वाली हाथ पंखा से हवा करने लगी। उस समय बिजली नहीं थी गाँव मे तो लोग हाथ पंखा का ही उपयोग किया करते थे।
ध्रुव को अपने मां के घर में काफी प्यार मिलता था जब भी उनके घर में किसी तरह की कोई छोटी मोटी भी पूजा फंक्शन होता था तो उसे बुला लिया जाता था। लेकिन जब ध्रुव बड़ा हो गया और पढ़ाई के लिए शहर में रहने लगा तब वह कुछ साल तक ध्रुव अपने मामा के घर नहीं गया। अपनी पढ़ाई में बहुत ज्यादा ध्यान दे दिया।
इस बीच ध्रुव ने कई तरह के नए-नए विद्याएं सीखने लगा जैसे कराटे, जिमनास्टिक आदि हालांकि उसे टेक्नोलॉजी वाली चीज भी काफी पसंद थी इसके वजह से वह वीडियो गेम आदि में भी काफी इंटरेस्ट लेने लगा था।
लेकिन वह अपने मामा के घर भले ही कुछ सालों तक नहीं गया था लेकिन इस बीच वह अपने मामा के यहां के लोगों से कनेक्टेड रहा जब भी उसकी मामी की, मामा का या फिर नानी की तबीयत खराब होती थी। ध्रुव उसे शहर में घूम-घूम कर इलाज करवाया करता था। उनके लिए दिन-रात एक कर देता था। इस बीच अपने मामा के लड़कों का भी ख्याल रखता था।
एक बार ध्रुव की मामी की तबीयत काफी खराब हो गया था बहुत मुश्किल से ध्रुव ने एक अच्छे से अस्पताल में इलाज करवाया था और जब मामी की बीमारी ठीक हो गया तो वो घर चली गई और जाते जाते वो ध्रुव से बोली, “हम अभी मरने वाले नहीं हैं, अभी तो ध्रुव बाबू आपके शादी मे सबसे महंगा वाला लहंगा पहने वाले हैं, खरिदियेगा न हमारे लिए।”
अपनी मामी की बात सुनकर ध्रुव मुस्कुराते हुए कहा, “जरूर खरीदेंगे, क्यों नहीं खरीदेंगे! आप ही तो मेरी एक प्यारी मामी हो, आपके लिए तो कुछ भी करूंगा।”
मामा- मामी को ऑटो पर बैठा कर वो अपने रूम आ गया।
इस घटना के आज कई वर्ष बीत चुके हैं और इतने सालों में कई चीज बदल गए हैं। लोगों के सोचने -समझने की नजरिया और रिश्तों का महत्व इसलिए आज से कुछ साल पहले जो मामी ध्रुव के लिए बहुत प्यारी थी आज उनके लिए ध्रुव के अंदर काफी नफरत भरा हुआ है।
उसकी मामी भी ध्रुव से अब उतना ही नफरत करते हैं जितना की ध्रुव करता है। आखिर इतने सालों में क्या बदलाव आया!
ध्रुव का मानना था कि उसकी मामी की वजह से ही उसके अपनी फैमिली मम्मी -पापा काफी परेशान हुए थे।
किसी के घर मे आग लगाने वाले लोग ध्रुव को बिल्कुल पसंद नहीं थे। ध्रुव हमेशा भावनाओ मे जिया करता था और भावनाओं में जीने वाले लोग बहुत कमजोर होते हैं।
एक दिन अचानक ध्रुव अपने मामा के घर पहुंचा और उसने किचन में रखा चाकू उठाया और उसे कमरे की तरफ गया जिस कमरे में दोपहर में उसकी मामी सो रही थी।
ध्रुव मामी के बाल पकड़ा और चाकू उसकी गर्दन पर रख कर ध्रुव बोला, “मामी… आपके जाने का वक्त आ गया है।”
मामी जब तक उठती और वहां के सिचुएशन समझने की कोशिश करती तब तक ध्रुव उसका सिर धड़ से अलग कर चुका था और ध्रुव उनके सिर से टपकता खून अपने चेहरे पर लगा रहा था।
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- Raktranjit । रक्तरंजित । EP-01। Suspense & Thriller Story In Hindi