The Hidden Past। Ep- 03। Suspense & Thriller Story In Hindi

Author - Avinash Kumar

आरव अभी पूरी डायरी को सही से पढ़ा भी नहीं था कि  दिमाग में वही अजीब सी आवाज़ फिर गूंज उठी। यह आवाज़ किसी जानी-पहचानी फुसफुसाहट की तरह थी, जो कोई उसे उसके कानों में धीरे से कह रहा था।

“आरव, तुमने कुछ मिस कर दिया है। वापस जाओ। तुम्हें अपने पेरेंट्स के हत्यारे से रिलेटेड evidence वहीं से मिलने वाले हैं।”

आरव ने सिर झटका, जैसे अपने खयालों को दूर करने की कोशिश कर रहा हो। यह पहली बार नहीं था कि उसने इस तरह की आवाज़ सुनी थी। बचपन में भी, जब वह अकेला और डरा हुआ महसूस करता था, तब यह आवाज़ उसे सुनाई देती थी। 

हालांकि बचपन में ये आवाज़ उसे सिर्फ नॉर्मल बातें हैं कहती थी लेकिन जब से वह टीनएज हुआ था तब से यह आवाज उसे अजीब अजीब तरह के काम करने के लिए कहता था और कई बार तो उसने कई अच्छे काम करने के लिए भी कहा था। यह आवाज कहां से आती थी और उन्हें इस आवाज में कौन सजेशन देता था आज तक ना तो वह जान पाया था और नहीं किसी को इसके बारे में जानकारी थी।

आरव बचपन से इस आवाज को अपने साथी मानता आया था और वह हमेशा इसकी बात मानता भी आया है,  यही कारण था कि आज भी पुलिस स्टेशन में इस आवाज़ को इग्नोर करना सही नहीं समझा। वह उस डायरी को बैग में रखा और हवलदार को 2 घंटे बाद वापस आने की बात कह कर थाने से बाहर निकल गया।

आरव अपने रॉयल एनफील्ड बाइक से जल्द ही उस महिला के अपार्टमेंट में वापस पहुंच गया । इमारत बाहर से शांत थी, लेकिन भीतर अजीब सी बेचैनी छाई हुई थी। उसने दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।

आरव को सुनाई देने वाली आवाज़ फिर से गूंज उठी। “वह खतरे में है। जल्दी करो।”

आरव ने ज्यादा देर नहीं की। उसने दरवाजा तोड़ दिया। अंदर का दृश्य उसके होश उड़ा देने वाला था। महिला फर्श पर बेहोश पड़ी थी, और उसके अपार्टमेंट का सामान बिखरा हुआ था।

आरव ने तुरंत महिला की नब्ज़ चेक की। वह जिंदा थी, लेकिन डर से कांप रही थी। तभी उसने कमरे के एक कोने में किसी की हल्की आहट सुनी।

“कौन है वहां?” उसने चिल्लाकर पूछा।

एक परछाई तेजी से खिड़की की ओर भागी। आरव ने पीछा किया, लेकिन वह व्यक्ति पहले ही गायब हो चुका था। उसने खिड़की से बाहर झांककर देखा मगर उस परछाई ने कोई सबूत छोड़ने की गलती नहीं की गई थी।

खिड़की के पास से वापस आरव अब उस महिला के पास आकर उसे होश में लाने  की कोशिश करने लगा। उसने दौड़कर किचन से वाटर लाया और उस महिला के चेहरे पर छिड़का, जिसकी वजह से वह महिला होश में आ गई। उस महिला को होश में आते ही उस महिला से आरव ने कहा, “आप ठीक हैं? क्या आप बता सकती हैं कि क्या हुआ आपके साथ अभी और यहाँ कौन आया था?”

महिला ने कांपती आवाज़ में कहा, “मैं सो रही थी। अचानक, मुझे लगा कि कोई मेरे कमरे में है। मैंने चीखने की कोशिश की, लेकिन… फिर सब धुंधला हो गया।”

आरव ने उसे console दी। “आप सेफ हैं। डरने की कोई बात नहीं है। और मैं कोशिश करूंगा कि ऐसा फिर न हो।”

उस महिला ने उसकी ओर देखा, जैसे कुछ और कहना चाहती हो। और उसने सांसे तेज़ करते हुए बोली,  “उसने कुछ ढूंढने की कोशिश की थी। वह मेरी किताबों की अलमारी के पास भी गया था।”

आरव को तुरंत डायरी याद आई। वह समझ गया कि यह हमला शायद उसी के कारण था।

“देखिए आप चिंता मत कीजिए। आपको जब भी कोई परेशानी हो आप मुझे कॉल कर लीजिएगा। आप मेरा पर्सनल नंबर लिख लीजिए। क्या आप बता सकती हैं कि आपको किसी पर शक है जो आपके साथ ऐसा कर सकता है?” आरव ने उसे महिला को देखते हुए कहा।

वह महिला टेबल पर रखी ग्लास से पानी पिया और उसने कहा, “नहीं! आज के पहले इस तरह से कोई भी मेरे घर में नहीं घुसा था। मुझे शक है कि यह आदमी उसे डायरी को लेने आया था जिसे कुछ देर पहले आप लेकर गए थे।” 

उस महिला की बात सुनकर आरव सोच में पड़ गया, “ आखिर उस डायरी में ऐसा क्या है जिसे वह ढूंढता हुआ यहां आया था? उस डायरी में तो कुछ आर्टिकल्स और कुछ डेट्स के अलावे तो है ही नहीं।”

“ क्या वह आदमी इस मकान के पहले रेंटर हो सकता है ? हो सकता है वह डायरी लेने आया हो जो छोड़ कर गया था!” आरव ने उसे महिला से पूछा।

“ हां हो सकता है। मगर वह इस तरह से चोरी छुपे क्यों आएगा और फिर इस तरह से खिड़की से कूद कर क्यों भागेगा ?” इतना कहकर महिला आरव को देखने लगा।

कुछ देर और बात करने के बाद आरव ने उस महिला को अपना ख्याल रखने के लिए कहकर वहां से चला आया और थाने पहुंच कर उसने अपने सीनियर इंस्पेक्टर विक्रम को फोन किया, “ हेलो सर, सर मैं अपने पेरेंट्स के मर्डर केस के इन्वेस्टिगेशन के लिए उस अपार्टमेंट में फिर से वापस गया था लेकिन वहां मुझे कुछ अज़ीब सा लगा। वहां जो महिला रहती है वह बेहोश मिली थी और खिड़की से किसी को कूद कर  भागता हुआ मैंने देखा है। सर, हमें उस महिला और अपार्टमेंट पर हमें नजर रखनी होगी। मुझे लगता है मेरे पेरेंट्स मर्डर से रिलेटेड वहां कुछ ना कुछ एविडेंस है।”

जब आरव ने उस घटना की रिपोर्ट विकम्र मल्होत्रा को दी, तो विक्रम ने खुश होते हुये कहा, “तुमने अच्छा काम किया है, आरव। तुम्हारे एक्सपीरियंस कम है , लेकिन तुम्हारी इन्वेस्टिगेशन क्षमता मजबूत है। तुम्हारे पास अच्छा मौका है अपने पेरेंट्स के हत्यारे को ढूंढने के लिए और मैं तुम्हें हमेशा सपोर्ट करता रहूंगा जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो कॉल कर लेना।”

विक्रम मल्होत्रा की बात सुनकर और आरव ने खुश होते हुए कहा, “ थैंक यू सर! थैंक यू सो मच।”

इतना कहने के बाद आरव ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और फिर उस डायरी के बारे में सोचने लगा।

आरव को इस बात का एहसास हो चुका था कि डायरी और महिला पर हमला, दोनों जुड़े हुए हैं। लेकिन उससे ज्यादा उसे इस बात ने हैरान किया कि उसे सुनाई देने वाली आवाज एकदम इतना सटीक इनफॉरमेशन से कैसे दे दिया?

हालांकि यह आवाज उसे हमेशा सुनाई नहीं देती थी बल्कि यह आवाज खुद ही किसी सिचुएशन में आरव को सुनाई देती थी।

उसने खुद से सवाल किया, “क्या यह सिर्फ मेरा अंदाजा था, या वाकई में यह आवाज़ मुझे गाइड कर रही है?”

डेस्क पर लौटकर उसने डायरी को फिर से खोलकर पढ़ना शुरू किया। उसमें लिखे आर्टिकल अब और ज्यादा complicated लगने लगे थे। 

“तुम इस बच्चे को एक नॉर्मल बच्चे जैसा बड़ा करना चाहते हो तो तुम्हें इसका विशेष ध्यान रखना होगा वरना …” डायरी में इसके आगे लिखे हुए शब्द धुंधले हो चुके थे जिसे आरव नहीं पढ़ पा रहा था और उस पेज के सबसे नीचे एक व्यक्ति का सिग्नेचर था, “डॉक्टर शेखर”

इसे पढ़ने के बाद आरव अपने मन में बड़बड़ाया, “डॉ. शेखर ! क्या शेखर अंकल डॉक्टर हैं ? या ये कोई और है ?”

 
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