Summary
“Silent Bonds” एक खूबसूरत कहानी है, जो सपनों, रिश्तों और नई शुरुआत की बात करती है। सिया, एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस, मुंबई की भागदौड़ में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है। उसकी मुलाकात अर्जुन, एक सफल बिजनेसमैन, और उसके मासूम बेटे आरव से होती है। आरव की देखभाल के दौरान, सिया और अर्जुन के बीच एक अनकही नज़दीकी पनपती है। लेकिन सिया का दर्द भरा अतीत और अर्जुन के परिवार की नाराज़गी उनकी राह में मुश्किलें खड़ी करती हैं। प्यार, त्याग और संघर्ष की इस कहानी में जानिए, क्या सिया अपने सपनों और रिश्तों के बीच सही रास्ता चुन पाएगी?
मुंबई का मौसम हमेशा से अनिश्चित रहा है। एक पल धूप तो अगले ही पल आसमान में काले बादलों का डेरा। सिया मल्होत्रा, 26 साल की युवा लड़की, इस शहर में अपनी किस्मत आजमाने आई थी। उसका सपना था बड़े पर्दे पर चमकना, लेकिन जिंदगी का पर्दा अब तक उसे संघर्ष के सिवा कुछ और नहीं दिखा रहा था।
सिया एक छोटे से रेंटेड फ्लैट में रहती थी, जिसका किराया देना हर महीने उसके लिए चुनौती बनता जा रहा था। आज का दिन भी बाकी दिनों की तरह था—वह दो ऑडिशन देकर वापस लौट रही थी। हालांकि, उसका चेहरा शांत था, लेकिन उसकी आंखें उसकी हताशा बयान कर रही थीं।
शाम होते-होते बारिश शुरू हो गई। सिया ने अपने बैग से पुरानी छतरी निकाली और फुटपाथ पर तेजी से चलने लगी। तभी उसकी नजर सामने सड़क पर गई, जहां एक छोटा बच्चा, करीब चार साल का, भारी ट्रैफिक के बीच भटक रहा था। एक तेज रफ्तार कार उसकी ओर बढ़ रही थी।
सिया का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने बिना कुछ सोचे-समझे दौड़ लगाई और बच्चे को अपनी बाहों में खींच लिया। बच्चे को बचाते-बचाते सिया खुद सड़क के किनारे गिर गई। उसके हाथ में थोड़ी चोट आई, लेकिन वह बच्चे को सुरक्षित देखकर राहत महसूस कर रही थी।
बच्चे के मासूम चेहरे पर डर और आंसू थे। वह बोल नहीं पा रहा था, लेकिन उसकी आंखें सिया को धन्यवाद कह रही थीं। सिया ने बच्चे को सांत्वना दी और उसे गोद में उठाकर फुटपाथ पर ले आई। तभी एक काले रंग की महंगी कार उनके पास रुकी।
कार से एक लंबा, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला व्यक्ति उतरा। उसकी आंखों में घबराहट और गुस्सा था।
“आरव!” उसने बच्चे का नाम पुकारा।
सिया ने बच्चे को उसकी ओर बढ़ाया। वह आदमी तुरंत बच्चे को अपनी बाहों में लेता है और उसका माथा चूमता है। बच्चे की सुरक्षा का एहसास होते ही उसके चेहरे पर राहत आई।
“आपने इसे बचाया… मैं… मैं कैसे शुक्रिया अदा करूं?” उसने सिया की ओर देखा। उसकी आंखों में आभार के साथ-साथ सिया की चोट को देखकर चिंता भी थी।
“यह बच्चा आपका है?” सिया ने पूछा।
“जी हां। मेरा नाम अर्जुन राठौड़ है। यह मेरा बेटा आरव है।”
सिया ने देखा कि आरव उसकी ओर वापस देखने लगा था। उसके नन्हें हाथ सिया की तरफ बढ़ रहे थे। सिया को समझ नहीं आया कि वह इतनी जल्दी बच्चे के लिए क्यों खास हो गई थी।
“आपको बहुत चोट लगी है। कृपया अंदर बैठिए, मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलता हूं,” अर्जुन ने कहा।
“नहीं, मैं ठीक हूं,” सिया ने मना किया।
लेकिन अर्जुन ने जिद की, और आखिरकार सिया को उसकी बात माननी पड़ी। कार में बैठते हुए सिया ने महसूस किया कि जिंदगी शायद उसे किसी नई दिशा में ले जा रही है।
अस्पताल में चेकअप के बाद अर्जुन ने सिया को घर छोड़ने की पेशकश की। सिया ने संकोच करते हुए स्वीकार कर लिया। जब वह गाड़ी से उतरी, तो आरव ने फिर से सिया की उंगलियां थामने की कोशिश की।
“आपका बहुत-बहुत धन्यवाद,” अर्जुन ने कहा।
सिया ने मुस्कुराकर कहा, “बस, उसका ख्याल रखिएगा।”
अर्जुन और सिया की यह पहली मुलाकात किसी फिल्मी सीन से कम नहीं थी, लेकिन शायद यह सिर्फ शुरुआत थी। उनके जीवन की यह नई कड़ी आने वाले दिनों में क्या मोड़ लेगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं था।
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