Author - Avinash Kumar
शेखर अंकल डॉक्टर हैं या नहीं , ये कंफर्म करने के लिए उसने अपना फोन निकाला और शेखर को कॉल कर दिया, “हेलो, डॉक्टर शेखर?”
फोन की दूसरी तरफ से आवाज आई, “अरे आरव बेटा आज अचानक से शेखर अंकल से डॉक्टर शेखर कैसे कहने लगे? तुम्हारी तबीयत ठीक तो है ना!”
शेखर की बात सुनकर आरव ने नॉर्मल रिस्पांस किया, “अरे अंकल! वह गलती से मेरे मुंह से निकल गया वैसे आप ठीक है?”
आरव ने जानबूझकर सारी बातें शेखर से छुपाया क्योंकि अब तक उसे कुछ ना कुछ शक हो चुका था कि उसकी माता-पिता के मर्डर में शेखर की भी हाथ हो सकती थी।
कुछ देर नॉर्मल बात करने के बाद आरव ने फोन रख दिया तभी उसे फिर एक आवाज सुनाई दी, “बेवकूफ! तुमने ये क्या किया! तुम अपने माता-पिता के हत्यारे के बहुत निकट था। शेखर अंकल ही तुम्हारे पेरेंट्स की हत्यारे हैं इस डायरी में तो क्लियर लिखा हुआ है वरना उस डायरी को चुराने उस औरत के घर क्यों जाते?”
“ नहीं, तुम झूठ बोल रहे हो शेखर अंकल कभी ऐसा नहीं कर सकते। वह मेरे पापा के अच्छे दोस्त थे। मैंने उनसे बचपन में कई बार मिला था और दादी भी तो हमेशा उनकी ही जिक्र किया करती”
आरव की बातों के रिस्पांस में वह आवाज़ एक बार उसकी कानों में फिर आई, “हमेशा दोस्त ही दुश्मन होते हैं। आखिर फिर तुम्हारे पेरेंट्स के मरने के बाद वो तुमसे कभी मिलने क्यों नहीं आए अगर वह तुम्हारे पापा के अच्छे दोस्त थे तो उनके जाने के बाद तुमसे कभी बात क्यों नहीं किया ?”
आज पहली बार आरव इस आवाज को सुनकर इरिटेट हुआ था इसलिए उसने आगे गुस्से में कहा” बकवास बंद करो! मैं तुम्हारी बातों में नहीं आने वाला। तुम बचपन से मुझे कुछ ना कुछ हमेशा से कहते आये हो मगर मैंने तुमसे कई बार पूछने की कोशिश की लेकिन तुमने कभी बताया नहीं कि तुम कौन हो, फिर मैं तुम्हारी बातों पर भरोसा कैसे करूं? मुझे तुम्हारी हेल्प नहीं चाहिए। चलो जाओ यहां से!”
आरव की बात सुनकर वह आवाज कुछ देर तक शांत रहे लेकिन फिर वह वापस से फिर सुनाई पड़ी, “आरव, अगर तुम सच में अपने माता-पिता के हत्यारे तक पहुंचना चाहते हो, तो तुम्हें मेरी मदद लेनी ही होगी। और तुम्हें मेरे बारे में जानना है ना मैं बल्लू , वही बल्लू जो एक समय पर जिसके नाम से पूरी दुनिया के लोग मेरे डरते थे।”
“यह बकवास है, बल्लू का मरा हुआ कितने वर्ष हो गए हैं, भला वह कैसे बोल सकता है ? वो भी मेरे कानों में! तुम झूठ बोल रहे हो।” आरव बड़बड़ाया।
यह बात बिल्कुल सही थी की बल्लू एक ऐसे गैंगस्टर था जिसके नाम से पूरी दुनिया के लोग डरते थे। अंडरवर्ल्ड में एक बड़ा नाम था मगर आरव भी सही कह रहा था बल्लू आज से 30 वर्ष पहले ही एक बम धमाके में मर गया था।
लेकिन आवाज़ ने फिर जवाब दिया, “तुम्हें लगता है कि मैं सिर्फ एक इमेजिनेशन हूँ? आरव, जो भी मैं कह रहा हूँ, वह तुम्हारे लिए इंपॉर्टेंट है। मैं तुम्हें वह जानकारी दे सकता हूँ, जो तुम्हारे पास नहीं है। लेकिन तुम्हें मेरे निर्देश मानने होंगे।”
आरव का दिल उथल-पुथल से भरा था। यह आवाज़ सच में उसकी मदद कर सकती थी या यह सिर्फ एक भ्रम था? उसे समझ में नहीं आ रहा था।
आवाज़ ने उससे आगे फिर कहा, “तुम्हें सेंट्रल आर्काइव्स में जाना होगा। वहाँ एक फाइल है, केस नंबर 2568। वह तुम्हारे माता-पिता के केस से जुड़ी है। पुलिस विभाग ने इसे क्लासिफाइड कर रखा है।”
आरव झिझका। “तुम्हें यह कैसे पता?”
“मैं बल्लू हूँ,” आवाज़ ने ठंडे स्वर में कहा। “मैंने वर्षों तक अपराध किया, और मेरी जैसी सोच रखने वालों को पढ़ा। मैं जानता हूँ कि सिस्टम कैसे काम करता है।”
आरव का दिल जोरों से धड़कने लगा। अगर यह सच था, तो यह एक बड़ा ब्रेकथ्रू हो सकता था।
शाम को वापस आरव घर अपने घर लौट आया था। हर दिन की तरह आज भी उसके कमरे बिल्कुल सुनसान था उसके कमरे में लगे टेबल पर कुछ मेडिसिन के पैकेट बिखरे हुए थे। जिसे देख कर मालूम पड़ रहा था कि वह मेडिसिन कई महीनों से ऐसे ही पड़ा है। उसके बगल में कुछ पार्सल के पैकेट थे। जिस डब्बे में शायद मेडिसिन ही मंगवाई गई थी।
उस रात काफी सोच विचार करने के बाद आरव ने अपनी नैतिकता को दरकिनार करते हुए सेंट्रल आर्काइव्स में घुसने का फैसला किया। उसने एक झूठा बहाना बनाकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों से वहां जाने की अनुमति मांगी।
अनगिनत फाइलों के बीच, उसने वह फाइल ढूंढ निकाली। केस नंबर 2568। यह वास्तव में उसके माता-पिता के केस की अनदेखी गई जानकारी थी।
उसने फाइल खोली और पाया कि उसके माता-पिता किसी बड़े कॉर्पोरेट घोटाले का हिस्सा थे। वे घोटाले को उजागर करने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही उन्हें चुप करा दिया गया।
“यह तो सिर्फ शुरुआत है, आरव,” आवाज़ ने कहा। “अगर तुम गहराई में जाओगे, तो तुम्हें उनके हत्यारों का नाम मिलेगा। लेकिन यह आसान नहीं होगा।”
आरव ने आवाज़ पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। “तुम मुझे क्यों मदद कर रहे हो? तुमने खुद इतने निर्दोष लोगों की जान ली। क्या यह तुम्हारा प्रायश्चित है?”
आवाज़ ठंडी और स्पष्ट थी। “प्रायश्चित? नहीं। मैं अपनी विरासत छोड़ना चाहता हूँ। मैं तुम्हारे ज़रिए अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन कर रहा हूँ। लेकिन यह मत सोचो कि मैं तुम्हारे दोस्त हूँ। यह सिर्फ एक लेन-देन है।”
आरव की सेल्फ़ इस बात से झकझोर उठी। क्या वह सही कर रहा था? क्या एक अंडरवर्ल्ड डॉन की मदद लेना सही था, भले ही वह उसे उसके माता-पिता के हत्यारों तक ले जाए?
आरव ने जल्दी-जल्दी उस फाइल को पढ़कर देखा , फाइल से पता चला कि उस समय के फेमस बिजनेसमैन, विक्रम सिंह, उस घोटाले में मुख्य दोषी था। लेकिन विक्रम सिंह अब राजनीति में था, और उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करना आसान नहीं था।
“विक्रम सिंह तुम्हारा अगला लक्ष्य है,” आवाज़ ने कहा। “लेकिन यह याद रखना, वह खतरनाक है। उसके पास सत्ता और पॉवर का अनलिमिटेड सपोर्ट है। अगर तुम्हें अपने माता-पिता के हत्यारे के जड़ तक पहुंचना है तो उससे मिलने के बाद ही तुम्हें कुछ सुराग मिल सकता है।”
आरव ने फाइल को सीक्रेट रूप से अपने पास रखा और सेंट्रल आर्काइव्स से निकल आया।
अगली सुबह आरव पुलिस स्टेशन जाने के लिए घर से निकल रहा था तब उसी वक्त एक डिलीवरी बॉय उसके घर आया और उसके हाथ में एक बॉक्स था।
डिलीवरी बॉय ने कहा, “सर, आपका पार्सल है।”
- The Hidden Past। Ep- 01। Suspense & Thriller Story In Hindi
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