“अरे उन जैसी लड़कियों के यही काम होती हैं।वो लोग सबसे पहले किसी अमीर लड़के को फंसाती हैं फिर उसके घर वालों के सामने अच्छे बनने की नाटक करती है और उसके घर आती- जाती रहती है फिर मौका देखकर सारी माल उड़ा लेती है।” सुजाता मौसी बोली।
पहले तो सुजाता मौसी की बात सुनकर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था । आखिर मौसी कहना क्या चाहती थी। मगर फिर उसकी इसी बात को बार-बार दोहराते रहने कारण मैं समझ गया था कि उसकी इशारा दीपा की तरफ थी। शायद वह मेरे घर वाले को यह बताना चाह रही थी कि दीपा ही आदिति भाभी के सारे गहने लेकर चंपत हो गई है।आदिती भाभी के तीन लाख के गहने गायब हो चुके थे।
“निशांत बेटा दीपा को फोन लगाकर उससे गहने के बारे में पूछो।” मेरी मां रोयासी (रोतेज जैसे ) आवाज में बोली।
“मां दीपा चोरी के बारे में क्या बताएगी? उसे कैसे मालूम होगा गहने के बारे में?” मैंने मां से बोला।
“जब गहने लेकर वो गई है, चोरी उसने की है। तो गहने के बारे में और कौन बताएगी?” सुजाता मौसी मुझसे बोली।
“मौसी आपका दिमाग तो खराब नहीं है ना ? दीपा के बारे में कैसी बातें कर रही हैं आप ” मैंने इस बार गुस्से में बोला था।
“ओ …हो… निशांत तुम्हें गुस्सा आ रहा है। अरे अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है जो लोगों को सही से पहचान सको ?” मौसी ताने- मारती हुई बोली।
उसके बाद वह अपनी चेहरा दूसरी तरफ फेर ली।
“निशांत दीपा को कॉल कीजिए” आदिति भाभी बोली।
“भाभी आप भी…..?”
मेरी बात पूरी होने से पहले ही अर्जुन भैया बोले, “दीपा से बात कर लो शायद उन्हें गहने के बारे में कुछ जानकारी हो।”
भैया का यह बात सुनकर मैंने इस बार सभी के चेहरों की तरफ देखा। उन सभी लोगों के शक की सुई दीपा पर ही जा रहे थे।
मैं दीपा के बारे में कुछ सोचा ही रहा था तभी मेरी कानों में भाभी की आवाज सुनाई पड़ी।
“दीपा तुम इस वक्त मेरे घर आ सकती हो?” भाभी फोन पर दीपा से बात कर रही थी।
“क्यों दी (दीदी ) क्या हुआ? आप अचानक से मुझे इस वक्त क्यों बुला रही है? सब खैरियत तो है ना ?” दीपा एक ही साँस में ये सारी बाते बोल दी।
“बस तुम अभी घर आ जाओ। मैं तुम्हें सब बताती हूं।” आदिति भाभी बोली।
“ठीक है दी(दीदी ), मैं आधे घंटे में पहुंचती हूं।” दीपा यह बोलकर फोन काट दी।
सब लोग कुछ देर तक मौन रहे फिर मैंने बोला, “भैया हम बिना किसी सही जानकारी के सिर्फ शक के आधार से दीपा पर चोरी का इल्जाम कैसे लगा सकते हैं ? अगर उसने यह सब नहीं किया हो तो?”
“निशांत! मैं दीपा को अच्छी तरह से जानता हूं। वह ऐसी लड़की नहीं हैं। वह कभी भी चोरी नहीं कर सकती है। बस इन लोगों के संतुष्टि के लिए उसे यहां आने दो।” अर्जुन भैया बोले।
“ठीक है।” मैंने बोला।
दीपा आधे घंटे के अंदर ही हम लोगों के बीच मेरे घर में खड़ी थी।
“आदिती दी ( दीदी) आपने इतनी जल्दी मुझे बुलाया। क्या बात करनी थी? बताइए मैं आ गई हूं।” दीपा आती ही आदिती भाभी से बोल पड़ी।
“दीपा कल रात मेरे सारे गहने चोरी हो गई है।” आदिति भाभी बोली।
“ क्या!.. आप के गहने चोरी हो गई है ? आपने अपने गहने कहां रखी थी?” दीपा चौकते हुए बोली।
“ओहो! कैसे अनजान होकर बोल रही है? …आपने गहने कहां रखी थी!” सुजाता मौसी मुंह बनाती हुई बोली।
“सुजाता मौसी आप कहना क्या चाहती हैं?” दीपा सुजाता मौसी से बोली।
Continue ……
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