तेरी – मेरी आशिकी ! Part – 14 ! कॉलेज लव स्टोरी इन हिंदी ! School Love Story In Hindi ! Love Feeling & Romantic Love Story In College ! Love Triangle story
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मगर मुझे यह पता नहीं था कि दीपा देवांशु को एक दोस्त समझकर या फिर छात्रसंघ चुनाव के एक उम्मीदवार समझकर या एक क्लासमेट समझकर उसके साथ घूमती रहती है ।
“देखो देवांशु तुम दीपा के क्लासमेट हो, साथ ही छात्र संघ चुनाव के उम्मीदवार भी हो । इसलिए मैं अब तक चुप हूं वरना मैं जिस वक्त अपनी औकात पर आ जाऊंगा ना तो फिर तुम्हारी औकात अच्छी तरह से याद दिला दूंगा ।” मैंने उसके शर्ट के कॉलर को अपनी हाथों से पकड़ते हुए कहा।
मुझे कॉलर पकड़ने के बाद उसे कुछ दोस्तों ने भी मेरे शर्ट का कॉलर भी पकड़ लिया परन्तु देवांशु उन लोगों को सर से इशारा कर मुझसे दूर हटने को कहा । उस वक्त वह समझ चुका था कि अगर उस वक्त वह करेगा तब उससे उसके इमेज पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ेगी क्योंकि कुछ सप्ताह बाद ही छात्र संघ के चुनाव होने वाली थी । इसलिए उस वक्त वह विवाद ना कर मुझे सिर्फ धमकी देकर वहां से निकल गया और जाते–जाते बोला, “तुम्हें चुनाव के बाद देख लूंगा । तुम्हें तो वो हाल करूंगा जिसके बाद मेरी क्लास की बंदी को क्या कभी अपने क्लास के बंदी तक को देखने से डरोगे ।”
उस दिन के बाद देवांशु और मेरे बीच अच्छी खासी दुश्मनी हो गई थी । लेकिन हम-दोनों के इस दुश्मनी के बारे में दीपा को बिल्कुल भी कोई भनक नहीं थी । दीपा जब भी मेरे पास आती थी तो देवांशु के ही बातें किया करती थी । उसकी हर बातों में देवांशु का बड़ाई और अच्छाई ही नजर आती थी ।
एक दिन कैंटीन में मैं और दीपा प्रत्येक दिन की तरह बैठकर बात कर रहे थे । उस समय दीपा के मीठी बातों के बीच कैंटीन की कड़क चाय भी थी ।
“निशांत क्या बात है? आजकल तुम कुछ ज्यादा खोए खोए से रहते हो और मुझसे भी कुछ कटे कटे से दिखते हो । कोई परेशानी है तो प्लीज मुझसे भी शेयर किया करो?” दीपा चाय की पहली शिप सुङक कर पीती हुई बोली ।
तेरी – मेरी आशिकी ! Part – 14 ! कॉलेज लव स्टोरी इन हिंदी ! School Love Story In Hindi ! Love Feeling & Romantic Love Story In College ! Love Triangle story
मुझे दीपा के बातों को सुनकर लगा कि मैं उसे बोल दूं कि यह सारी परेशानी जो चेहरे से दिख रहा है उसकी असली वजह तुम्हारा और देवांशु की दोस्ती है लेकिन मैं इस बार भी उसके विरोध में कुछ बोलने में असमर्थ रहा ।
“नहीं दीपा ऐसी कोई बात नहीं हैं । मैं खुश तो हूं , देखो मेरे चेहरे को कितनी खुशी दिख रही है ।” मैंने अपने होठों पर नकली मुस्कान के साथ बोला ।
“अच्छा सुनो मैं चुनाव के लिए एक नया स्लोगन लिखी हूं – शांत और एंटी रैगिंग कॉलेज कैंपस बनाना है !
छात्रसंघ नेता देवांशु मिश्रा को जिताना है!!” दीपा बोली।
“हां ठीक ही है”
“मतलब तुम्हे पसंद नही आया ?” दीपा अश्चर्ज होकर बोली
“बिलकुल पसंद हैं । यह बहुत अच्छी स्लोगन हैं ।” मैंने बेमन से बोला ।
“मुझे पता था निशांत यह स्लोगन तुम्हें हंड्रेड परसेंट पसंद आएगी ।” दीपा इतराती हुई बोली।
कॉलेज में छात्र संघ चुनाव की तैयारियां सभी पार्टी कर रहे थे । कॉलेज से कुल चार विद्यार्थी उम्मीदवार थे जिसमें से तीन B.com के तीसरे वर्ष का विद्यार्थी थे जबकि एक BCA के प्रथम वर्ष के विद्यार्थी उम्मीदवार था । प्रथम वर्ष के विद्यार्थी उम्मीदवार केवल देवांशु था और वह लोगों के बीच खुद को ऐसे प्रचार-प्रसार कर रहा था जैसे वह कोई बहुत बड़े नेता हो और इस छात्र संघ चुनाव में उसकी जीत पक्की होने वाली हो।
उस दिन कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा अपने घर जाने वाली थी मगर उसके भैया उस दिन टाइम से थोड़े लेट थे। उसने भैया से कॉल करके पूछा तो उसके भैया आशीष ने बताया उन्हें कॉलेज आने में अभी आधे घंटे से भी अधिक समय लग सकती है। तुम चाहो तो ऑटो पकड़ कर घर चली जाओ या फिर आधे घंटे तक मेरा इंतजार भी कर सकती हो। उस दिन दीपा के भैया किसी काम से बाहर निकले हुए थे।
“क्या हुआ ? तुम्हे कॉलेज से लेने तुम्हारे भैया कब तक आने वाले हैं?” दीपा के कॉल डिस्कनेक्ट करने के तुरंत बाद मैंने उससे पूछा ।
“अरे यार भैया आधे घंटे बाद आएंगे और इस तरह से आधे घंटा किसी का वेट(wait) करना मुझे अच्छा नहीं लगगी । यहाँ आधे घंटे खड़े-खड़े बोर हो जयुंगी ।”दीपा बोली ।
“ तो फिर ऐसा करो आज तुम मेरे घर चलो । वहां साथ रहकर कुछ बातें करेंगे ।” मैंने कहा ।
मगर मुझे यह पता नहीं था कि दीपा देवांशु को एक दोस्त समझकर या फिर छात्रसंघ चुनाव के एक उम्मीदवार समझकर या एक क्लासमेट समझकर उसके साथ घूमती रहती है ।
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“देखो देवांशु तुम दीपा के क्लासमेट हो, साथ ही छात्र संघ चुनाव के उम्मीदवार भी हो । इसलिए मैं अब तक चुप हूं वरना मैं जिस वक्त अपनी औकात पर आ जाऊंगा ना तो फिर तुम्हारी औकात अच्छी तरह से याद दिला दूंगा ।” मैंने उसके शर्ट के कॉलर को अपनी हाथों से पकड़ते हुए कहा।
मुझे कॉलर पकड़ने के बाद उसे कुछ दोस्तों ने भी मेरे शर्ट का कॉलर भी पकड़ लिया परन्तु देवांशु उन लोगों को सर से इशारा कर मुझसे दूर हटने को कहा । उस वक्त वह समझ चुका था कि अगर उस वक्त वह करेगा तब उससे उसके इमेज पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ेगी क्योंकि कुछ सप्ताह बाद ही छात्र संघ के चुनाव होने वाली थी । इसलिए उस वक्त वह विवाद ना कर मुझे सिर्फ धमकी देकर वहां से निकल गया और जाते–जाते बोला, “तुम्हें चुनाव के बाद देख लूंगा । तुम्हें तो वो हाल करूंगा जिसके बाद मेरी क्लास की बंदी को क्या कभी अपने क्लास के बंदी तक को देखने से डरोगे ।”
उस दिन के बाद देवांशु और मेरे बीच अच्छी खासी दुश्मनी हो गई थी । लेकिन हम-दोनों के इस दुश्मनी के बारे में दीपा को बिल्कुल भी कोई भनक नहीं थी । दीपा जब भी मेरे पास आती थी तो देवांशु के ही बातें किया करती थी । उसकी हर बातों में देवांशु का बड़ाई और अच्छाई ही नजर आती थी ।
एक दिन कैंटीन में मैं और दीपा प्रत्येक दिन की तरह बैठकर बात कर रहे थे । उस समय दीपा के मीठी बातों के बीच कैंटीन की कड़क चाय भी थी ।
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“निशांत क्या बात है? आजकल तुम कुछ ज्यादा खोए खोए से रहते हो और मुझसे भी कुछ कटे कटे से दिखते हो । कोई परेशानी है तो प्लीज मुझसे भी शेयर किया करो?” दीपा चाय की पहली शिप सुङक कर पीती हुई बोली ।
मुझे दीपा के बातों को सुनकर लगा कि मैं उसे बोल दूं कि यह सारी परेशानी जो चेहरे से दिख रहा है उसकी असली वजह तुम्हारा और देवांशु की दोस्ती है लेकिन मैं इस बार भी उसके विरोध में कुछ बोलने में असमर्थ रहा ।
“नहीं दीपा ऐसी कोई बात नहीं हैं । मैं खुश तो हूं , देखो मेरे चेहरे को कितनी खुशी दिख रही है ।” मैंने अपने होठों पर नकली मुस्कान के साथ बोला ।
“अच्छा सुनो मैं चुनाव के लिए एक नया स्लोगन लिखी हूं – शांत और एंटी रैगिंग कॉलेज कैंपस बनाना है !
छात्रसंघ नेता देवांशु मिश्रा को जिताना है!!” दीपा बोली।
“हां ठीक ही है”
“मतलब तुम्हे पसंद नही आया ?” दीपा अश्चर्ज होकर बोली ।
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“बिलकुल पसंद हैं । यह बहुत अच्छी स्लोगन हैं ।” मैंने बेमन से बोला ।
“मुझे पता था निशांत यह स्लोगन तुम्हें हंड्रेड परसेंट पसंद आएगी ।” दीपा इतराती हुई बोली।
कॉलेज में छात्र संघ चुनाव की तैयारियां सभी पार्टी कर रहे थे । कॉलेज से कुल चार विद्यार्थी उम्मीदवार थे जिसमें से तीन B.com के तीसरे वर्ष का विद्यार्थी थे जबकि एक BCA के प्रथम वर्ष के विद्यार्थी उम्मीदवार था । प्रथम वर्ष के विद्यार्थी उम्मीदवार केवल देवांशु था और वह लोगों के बीच खुद को ऐसे प्रचार-प्रसार कर रहा था जैसे वह कोई बहुत बड़े नेता हो और इस छात्र संघ चुनाव में उसकी जीत पक्की होने वाली हो।
उस दिन कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा अपने घर जाने वाली थी मगर उसके भैया उस दिन टाइम से थोड़े लेट थे। उसने भैया से कॉल करके पूछा तो उसके भैया आशीष ने बताया उन्हें कॉलेज आने में अभी आधे घंटे से भी अधिक समय लग सकती है। तुम चाहो तो ऑटो पकड़ कर घर चली जाओ या फिर आधे घंटे तक मेरा इंतजार भी कर सकती हो। उस दिन दीपा के भैया किसी काम से बाहर निकले हुए थे।
“क्या हुआ ? तुम्हे कॉलेज से लेने तुम्हारे भैया कब तक आने वाले हैं?” दीपा के कॉल डिस्कनेक्ट करने के तुरंत बाद मैंने उससे पूछा ।
“क्या हुआ ? तुम्हे कॉलेज से लेने तुम्हारे भैया कब तक आने वाले हैं?” दीपा के कॉल डिस्कनेक्ट करने के तुरंत बाद मैंने उससे पूछा ।
“अरे यार भैया आधे घंटे बाद आएंगे और इस तरह से आधे घंटा किसी का वेट(wait) करना मुझे अच्छा नहीं लगगी । यहाँ आधे घंटे खड़े-खड़े बोर हो जयुंगी ।”दीपा बोली ।
“ तो फिर ऐसा करो आज तुम मेरे घर चलो । वहां साथ रहकर कुछ बातें करेंगे ।” मैंने कहा ।
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