Teri-Meri Aashiqui। तेरी – मेरी आशिकी। Part – 03। हिंदी कहानी

Author – Avinash Kumar

“अच्छा ! तो इस छोटे को एक बड़े नाम भी है।” यह बोल कर वह फिर हँस पड़ी।

“वैसे आपका नाम क्या है ?” मैंने पूछा।

 ” नाम की इतनी भी जल्द क्या है छोटे ? समय आएगा तब जान जाईयेगा।” इतना बोल कर वह मुस्कुराती हुई चली गई।

उसकी मुस्कान ही हम पर सितम ढाह गयी थी। उसके जाने के बाद मैं भी भैया के पास चला गया। पूरा होटल  शादी के माहौल में डूब चुका था । हर लोगों के चेहरे पर एक अलग ही तरह के उमंग देखने को मिल रही थी।

” भैया आपने मुझे बुलाया ?” मैंने बोला ।

“छोटे, शाम के 4 बजे वाली फ्लाईट से सुजाता मौसी आ रही हैं। तुम उन्हें एयरपोर्ट से रिसीव कर लेना” भैया ने कहा।

” ठिक है भैया । मैं अभी निकलता हूँ। ” यह बोलने के बाद मैंने अपना नजर स्मार्ट वाच पर टिकाया।

शाम के साढ़े तीन बज रहें थे।

मैं हॉल से निकल का सीधा एयरपोर्ट चला गया। एयरपोर्ट पहुंचने में कुल 25 मिनट लग गये थे मगर फिर भी मैं सही समय पर पहुंच गया। वहाँ कुछ मिनट इन्तजार करने के बाद मुझे सुजाता मौसी दिखी।

सुटकेस के साथ शिल्पा भी मौसी के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकलती दिखी। 

शिल्पा मेरी मौसी की देवर का इकलौती बेटी है। शिल्पा जब 1 वर्ष की थी तब ही उसकी मां और पिता का देहांत एक कार एक्सीडेंट में हो गया था और जब से  वह मेरी मौसी के साथ ही रहती है। मौसी ही उसकी लालन-पालन की है।

और अब मौसी चाहती थी कि शिल्पा की शादी मेरे अर्जुन भैया से हो। मौसी मेरी माँ से शिल्पा से रिश्ता के लिए कई बार बात कर चुकी थी मगर मेरी माँ हर बार इस रिश्ते ठुकराती आई है।

मौसी के साथ शिल्पा को देख कर मुझे अजीब लगा । जब शिल्पा  के  रिश्ते कई बार ठुकराई जा चुकी थी तो शिल्पा को इस शादी में लाना क्या जरूरी था। मै ऐसा सोचने लगा।

” प्रणाम मौसी ” मैं मौसी के पैर छु कर बोला।

” खुश रहो बेटा … खुश रहो ” मौसी ने थोड़ी ज्यादा ओवर एक्टींग करती हुई बोली।

“ मौसी हमारी गाड़ी सडक के दूसरी तरफ खड़ी है। हम गाड़ी में चले ? ” मैंने गाड़ी के ओर इशारा करते हुए मौसी  से कहा।

“बेटा मेरे साथ शिल्पा भी आई हुई है ” मौसी शिल्पा की ओर उंगली से इशारा करती हुई बोली।

“hello ”  मैंने शिल्पा से बोला।

“हाय … I” शिल्पा चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ बोली थी।

 वैसे मैं शिल्पा को पहले ही देख चुका था मगर मैंने उससे कुछ बोलना उचित नहीं समझा था।

कुछ मिनट बाद हम लोग अपने गाड़ी में बैठ चुके थे और गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही थी। मैं गाड़ी चला रहा था , मेरी बगल में शिल्पा बैठी थी और पीछे वाली सीट पर सुजाता मौसी थी।

“बेटा हम कितने देर में होटल पहुंच जाएंगे ?” मौसी ने पूछी।

“बस अब हम पहुंचने ही वाले हैं ” मैंने सड़क के सीधे देखते हुए बोला।

“वैसे एक बात पूछूं बेटा? ”  

“जी ….. जी मौसी पूछिए।”  मैंने बोला।

“बेटा मैंने सुना है तुम्हारी कंपनी , घर और यहां तक की तुम्हारी सभी प्रॉपर्टीज तुम्हारे भाई के नाम से रजिस्टर्ड है ” मौसी बोली।

“जी मौसी … जब पापा की डेथ(मृत्यु) हुई थी तब मेरी उम्र 1 वर्ष से भी कम की थी जिसके कारण उस वक्त पापा के नाम से सारे  प्रॉपर्टीज को अर्जुन भैया के नाम से रजिस्टर्ड करवाना पड़ा था …  और वैसे भी इसमें हर्ज ही क्या है? ” मैंने बहुत ही सरल शब्दों में जवाब दिया।

“बेटा इसमें तुम्हें कोई हर्ज नहीं दिखता है ? कहीं ऐसा ना हो शादी के बाद उसके पत्नी तुम्हें प्रॉपर्टीज से कुछ भी  हिस्सा ना दें क्योंकि हर लड़की मेरी शिल्पा जैसी तो नहीं ना हो सकती है।” मौसी ने बड़ी ही कूटिल नजरों से देखती हुई बोली।

मैं मौसी को कुछ बोलता उससे पहले ही गाड़ी होटल के पास पहुंच चुकी थी। वैसे मेरी मौसी की यह स्वभाव हमेशा से रही है। वह हमेशा से ही हर बातों को नेगेटिव (नकारात्मक) रूप से देखती आई है। उन्हे हर चीजों में,  हर रिश्तो में शक करने की बीमारी है। यही कारण थी कि उस वक्त मैं गाड़ी में उनसे इन बातों पर ज्यादा बहस करना उचित नहीं  समझा था।

मैं गाड़ी को होटल के पार्किंग में पार्क कर गाड़ी से बाहर निकला ही था कि मेरी नजर फिर कॉलेज की उस पीली दुपट्टे  वाली लड़की पर पड़ी। वह मुझे नहीं देख रही थी। वह अपने दोस्तों के साथ अपनी होठों के लम्बी चोंच बनाकर अपनी मोबाइल से सेल्फी खींच रही थी।

“दीपा दीदी. …..सब लोग डांस कंपटीशन कर रहे हैं । चलो ना हम सब भी डांस करते हैं।”  एक 10- 12 साल की लड़की ने उस कॉलेज की पीली दुपट्टे वाली लड़की को आकर बोली।

“wow!  सच में …..  !  तो फिर हम लोग भी चलते हैं” वह खुश होते हुए बोली।

“दीपा दीदी ! …. ओहो…. तो पीली दुपट्टे वाली लड़की का नाम दीपा है।……निशांत – दीपा,  वाह क्या जोड़ी जमेगी!”  मैंने मन ही मन सोचते हुए खुद से बोला।

मैंने देखा वो लोग होटल के डांस फ्लोर पर जा चुके थे।                        

*

“दिल चोरी साड्डा हो गया की करिए की करिए ”  डांस फ्लोर पर हनी सिंह का यह गाना फुल बेस (Base) में बज रही थी।

मेरी नजर अचानक डांस करती लड़कियों की ग्रुप पर टिकी । कुछ लड़कियां इस गाने पर जबरदस्त डांस कर रही थी उन्हीं लड़कियों के बीच दीपा भी थी। 

 गजब की परफॉर्म कर रही थी।  वह खूबसूरत तो थी ही, वह डांस भी गजब की कर रही थी। मेरी नजर उसके चेहरे से बिलकुल  एक सेकण्ड के लिए भी नही हट रही थी तभी एक साथ सारे लोगों की  तालियों की आवाज  सुनाई पड़े I जिसके कारण  मेरा ध्यान लड़कियों से भंग हुआ ।

गाना खत्म हो चुकी थी सभी लोग इस डांस परफॉर्म के लिए तालियां बजा रहे थे। अब लड़के वालों के डांस करने की बारी थी। मेरे कुछ दोस्त डांस करने के लिए गया और साथ में डांस करने के लिए मुझे भी  बुला रहे थे मगर मैंने मना कर दिया।

” छोटे… तुम्हारे अंदर पावर नहीं है क्या ? ऐसा तो नही मेरी  डांस देखकर डर गए हो ?” दीपा ने मेरे कानों के पास आकर बोली । 

Continue ……

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