मैं कुछ सोच समझकर राहुल भैया से बोला, “राहुल भैया मैं इस वक्त आपको कुछ नहीं बता पाऊंगा । आप मुझे एक दिन के सोचने का समय दीजिये, उसके बाद मैं आपको बता दूंगा की मुझे इस चुनाव में खड़ा होना हैं या नही ।”
“ठीक है तुम्हारी जैसी मर्जी । अच्छी तरह से सोच लो उसके बाद मुझे कॉलेज में या फिर कॉल करके बता देना” राहुल भैया यह बोलकर फोन काट दिया ।
कॉल डिस्कनेक्ट होने के बाद अपना मोबाइल टेबल पर रख कर चुपचाप बिस्तर पर लेट गया और आंखें बंद कर सोचने लगा ।
फिर मुझे अचानक से दिमाग में देवांशु के वह सारी बातें याद आने लगी जो हमेशा मुझसे दीपा के बारे में बोलता था और साथ ही इस चुनाव में उसकी जीत जाने की ग्रुर भी मेरे आंखों में ठहर गयी । जिसके कारण मुझे लगने लगा हमें छात्र संघ चुनाव लड़ना ही चाहिए क्योंकि अगर अगर मैं उम्मीदवार बना तो दीपा स्लोगन लिखने या चुनाव प्रचार के लिए उसके पास नहीं जाएगी बल्कि वह हमेशा मेरे साथ ही रहेगी ।
जिसके वजह से देवांशु चाह कर भी दीपा के साथ समय बिताने में कामयाब नहीं होगा । और सबसे बड़ी बात अगर मैं जीत गया तो फिर उसका सारा गुरुर तोड़कर रख दूंगा ।
यह सारी बातें सोचने के बाद भी मैं किसी अंतिम बिंदु पर नहीं पाया था । मैंने अपने फोन उठाकर अपने क्लासमेट और 1-2 दोस्तों को कॉल कर छात्र संघ के चुनाव में उम्मीदवार बनने के बारे में चर्चा किया । इस बात से मेरे सभी दोस्त खुश हो गए और सब ने मुझे छात्र संघ चुनाव लड़ने को बोला साथ ही सब लोग मुझे सपोर्ट करने का वादा भी किया । इन सब से बात करने के बाद मैं खुद को छात्र संघ चुनाव के उम्मीदवार बनने के लिए तैयार कर लिया । तभी कमरे में दीपा आई।
“ओ … छोटे बाबू क्या सोच रहे हैं? चलिए खाना बन गया है । सब लोग खाने पर इंतजार कर रहे है ।” कमरे में आते ही दीपा बोली ।
“दीपा रुको तुमसे एक बात करनी है ।” मैंने बोला ।
मेरी बात सुनकर दीपा कमरे में रुक गई और बोली,”कोई बातें नहीं, चलो पहले खाना खा लेते हैं ।”
मैं फिर दोबारा नहीं बोल कर चुपचाप दीपा के साथ खाने खाने के लिए चल दिया । हम सभी एक साथ बैठकर खाना खा रहे थे।
मेरी फैमिली में दूर-दूर तक किसी ने कोई राजनीति में भाग नहीं लिया था । वह चाहे कॉलेज की राजनीतिक हो या फिर कॉलेज से बाहर की । इसलिए मैंने अपने घर वालों से इस बारे में चर्चा कर लेना उचित समझा।
“भैया मेरे कॉलेज में छात्र संघ चुनाव होने वाली है और उसकी उम्मीदवारों का नॉमिनेशन भी शुरू हो चुका है । मेरे कुछ दोस्तों ने इस चुनाव में मुझे उम्मीदवार बनाने के लिए चुना है।” मैंने अपने अर्जुन भैया से बोला ।
मेरी यह बात सुनकर सभी लोग मेरे तरफ देखने लगे और दीपा तो बहुत आश्चर्य होकर मेरी तरफ देख रही थी।
“वाह! यह तो अच्छी बात है । मगर तुम्हारे दोस्तों ने इस चुनाव के लिए तुम्हें उम्मीदवार क्यों चुना?” अर्जुन भैया बोले ।
“भैया उन लोग को मानना हैं इस चुनाव के लिए मैं एक अच्छा उम्मीदवार हो सकता हूं ।”
“ठीक है अगर तुम्हारे दोस्तों को ऐसा लगता है तो तुम इस चुनाव में जरूर भाग लो , वैसे भी कॉलेज पीरियड में राजनीति में भाग लेना बहुत अच्छी बात है ।” अर्जुन भैया बोले ।
भैया से इजाजत मिलने के बाद मैं खुश था । हम सब खाना खाने के बाद अपने-अपने कमरे में सोने चले गए और उस दिन दीपा अपने घर ना जाकर इस बार भी वह मेरे ही घर रुक गई थी । मगर चुनाव लड़ने की फैसला से वह थोड़ी खफा हो गई थी । उसे लग रहा था कि यह मेरा गलत फैसला है ।
दीपा उस रात सब से छुप कर मेरे कमरे में आई और मुझे समझाते हुए बोली, “निशांत मुझे लगता है तुम्हे चुनाव में पार्टिसिपेट नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे तुम्हारी पढ़ाई बाधित हो सकता है ।”
वैसे दीपा की यह बात बिल्कुल सही था । और उसका यह भी मानना था कि जो लोग नेता नहीं बनना चाहता हो उसे छात्र संघ चुनाव से दूर ही रहना चाहिए वरना पढ़ाई के लिए समय नहीं मिल पाएगा । जिससे उसके कैरियर भी प्रभावित हो सकती है।
“दीपा इस चुनाव के लिए मेरे सभी दोस्तों ने मुझे उम्मीदवार चुना है क्योकि कॉलेज की सिस्टम को सही तरीके से चलाने के लिए एक अच्छे उम्मीदवार की जरूरत है । और इस चुनाव में जो भी उम्मीदवार खड़े हुए हैं उनमें से कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं है । जो कॉलेज को सही तरीके से चला सके इसलिए मैं इस चुनाव में उम्मीदवार बनने के योजना पर दोस्तों को सहमति दे दिया हूँ ताकि अगर मैं यह चुनाव जीत जाऊं तो कॉलेज की सिस्टम को सही तरीके से चला सकूं ।” मैंने बोला ।
“निशांत अगर तुम्हें लगता है छात्र संघ चुनाव में तुम्हें चुनाव लड़ने चाहिए तो तुम उम्मीदवार अवश्य बनो । मैं तुम्हारे साथ हूं।” दीपा मुस्कुराती हुई बोली ।
दीपा की यह बात सुनकर मैं खुश हो गया और साथ ही मुझे बहुत अच्छा भी लगा कि दीपा इतनी जल्दी मेरे सपोर्ट में आ गयी । अब मुझे खुद पर और अपने प्यार पर विश्वास हो गया था कि हम गलत नहीं हैं।
उस वक्त बात करते हुए हमें यह महसूस हुआ की दीपा देवांशु को सिर्फ एक अच्छे उम्मीदवार सोच कर उसके सपोर्ट में खड़ी थी ना कि किसी और वजह से ।
मैंने दीपा को गले लगाते हुए बोला,” थैंक यू दीपा मुझे पूरा विश्वास था कि तुम मेरे इस चुनाव में सपोर्ट करोगी”
पहले तो दीपा कुछ देर तक ऐसे ही मुझ में लिपटी रही उसके बाद बोली, “निशांत छात्र संघ चुनाव क्या ! मैं तो तुम्हारे हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगी । यह तो तुम्हारा सबसे अच्छा फैसला है कि तुमने कॉलेज और विद्यार्थियों के भलाई के लिए छात्र संघ चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।”
मैंने दीपा की बात सुनकर उसके होठों को चूम लिया । उस वक्त ऐसा लग रहा था जैसे सारी दुनिया मेरे साथ खड़ी है और मुझे कहीं भी, किसी भी मोड़ पर किसी से डरने की कोई जरूरत नहीं है।
चाहे दुनिया आपके लाख खिलाफ हो लेकिन आप जिस से मोहब्बत करते हो और वह आपके साथ होता है तो सारी दुनिया से लड़ लेने की ताकत खुद ब खुद आ जाते हैं ।
मैं उसके चेहरे को देख रहा था ,उसने चुटकी लेती हुई बोली । “छोटे बाबू ऐसे क्या देख रहे हो?”
“बस यही कि मेरी दीपा डार्लिंग कितनी खूबसूरत लग रही हैं !” मैंने मुस्कुराते हुए बोला ।
“अच्छा! तो मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपने पास ही बुला लो,फिर देखते रहना ।” दीपा शर्माती हुई बोली ।
“वैसे तुम्हें जल्द ही हमेशा-हमेशा के लिए अपने पास ले आयूंगा लेकिन जब तुम मेरे पास हो तो क्यों ना अभी से ही देखते रहने की प्रैक्टिस कर लेते हैं ?”
उसके बाद मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपने हाथ रख कर उसकी होठों से अपने होंठ लगा दिया। और इसी तरह से उसके होठों को लगातार कई मिनटों तक चुमता रहा । उस रात दीपा लगभग आधी रात तक मेरे कमरे में ही मेरे साथ सोई । मगर सुबह होने से पहले ही वह अपने कमरे में सोने चली गई । उस रात हम-दोनों काफी खुश थे ।
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इसका अगला part कब आएगा?
बहोत दिन हो चुके नया episode डाले 🙏🙏