Teri-Meri Aashiqui। तेरी – मेरी आशिकी। Part – 05। हिंदी कहानी

Author - Avinash Kumar

लेकिन वो लोग भी नहीं बता पाए की आखिर जूता कहाँ हैं और ये जूते ग़ायब  कैसे हुआ ? तभी वहां पर भैया के कुछ सालियाँ आयें और जूते देने की बदलें में भैया से रीति-रिवाज के अनुसार पैसे मांगे।

उन लड़कियों में दीपा भी शामिल थी। यह देखकर मैं समझ गया था कि जूते की किडनैपिंग हुआ है और किडनैपर को फिरौती में बिना पैसे दिये जूता वापस नहीं मिलेगा।

दीपा मेरी तरफ देख कर फिर से अंगूठे से  लूजर  होने की इशारा की मगर इस बार उसके अंगूठे वाली इशारे के बदले में मैंने उसे 23 फ्लाइंग किस (Kiss) दे मारी। इस पर वह शर्मा कर बोली, ” चल हट “

“यह लीजिए पैसा और मेरा जूता वापस कीजिए” भैया ने अपने सबसे छोटी साली को 2000 की एक नोट हाथ में देते हुए बोले।

“नहीं!… हम ₹20 हजार से ₹1 भी कम होने पर जूते वापस नहीं करेंगे” भैया की सबसे छोटी साली ने जबाब दी।

“भैया इतना से ज्यादा मत देना। हम 20 हजार रु से कम में ही बहुत अच्छा जूता खरीद लेगें।” हम दोस्तों के साथ थोड़ी चीयरस के साथ बोला।

इसके बाद किसी ने जोड़दार सिटी बजाई और मेरे सभी दोस्तों ने एक साथ बोला, “निशांत सही बोल रहा हैं भैया , उतने में हम नये जूते ही खरीद लेंगे ”

“आप लोग जीजा-साली के बातों के बीच मत पड़िये, हम खुद ही समझ लेंगे अपने कंजूस जीजा जी से” भैया की दूसरी साली ने मजाकिया लहजे से  बोली।

“मोहतरमा साली जी पहले मेरे भैया है उसके बाद ही आपके जीजा हैं , इसलिए पहले मेरा बोलने का अधिकार है मेरी प्यारी क्यूटी साली जी”

मुझे बोलने के बाद  वहां पर  उपस्थित मेरे सभी दोस्त खिलखिला कर हंस पड़े।

“तो फिर आपके भैया जी के जूता नहीं मिलेगी। आप उन्हें बोलिए बिना जूते के ही चले जाएं” इस बार दीपा भैया के सालियों की तरफ से बोली थी।

“कोई बात नहीं हम भैया के लिए एक बढ़िया सा जूता खरीद लेंगे, आप ही रखिए वो पुराने जूते” मेरा एक दोस्त  ने दोस्त कहा।

इस तरह से कुछ देर मजाकिया नोकझोंक चलने के बाद भैया ने अपनी साली की बात मानकर 2-2 हजार की 10 नोट उनके हाथों में रख दिये। उसके बाद वे खुशी-खुशी भैया के जूता लाकर दे दीं।

*

दो घंटे बाद लड़की विदाई की रस्म हो रही थी। लङकी की ओर से आयें सभी मेहमानो और दोस्तों के आँखे नम थी। मैंने दीपा की आंखो में झांका उसकी आंखे भी नम हो चुकी थी। आंखे से निकली पानी के कुछ बुन्द गालों से फिसल रहे थे।

खैर कुछ देर बाद लड़की की बिदाई हुई। विदाई के बाद सभी रिश्तेदार अपने-अपने घर लौट गये और हम लोग भाभी को लेकर अपने घर लौट गये। 

घर आने के बाद मैं दीपा को बहुत मिस कर रहा था। 2 दिनों में ही मैं दीपा की काफी क्लोज आ गया था। हां ये अलग बात थी कि वह सिर्फ मुझे चिढ़ाने के लिए मेरे पास आती थी।

अगर मैं सच कहूँ तो उसका मुझसे बात करना ही मेरे लिए काफी था। वो चाहे चिढाने के लिए हो या फिर किसी और चीजों के लिए हो ।

*

भैया के विवाह के पूरे 4 दिनों बाद मैं कॉलेज गया था । भैया के रिसेप्शन में बजी गाने की धुन अभी तक मेरे कानों से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाया था ।

कॉलेज आते ही मेरी नजर दीपा पर पड़ी वह मेरी तरफ ही आ रही थी ।

hello छोटे ” उसने इस बार भी मजाकिया लहजे में ही बोली थी।

“अरे यार मैं कितनी बार तुम्हें बोल चुका हूं, मुझे छोटे कह कर मत बुलाया करो” मैंने दीपा से बोला ।

भैया के शादी-रिशेप्सन के कारण हम दोनों एक साथ अच्छे खासे समय बिता चुके थे । अब हम दोनों की बीच दोस्ती वाली बॉन्डिंग बन गयी थी।

“वैसे !दीपा आज बहुत हॉट लग रही हो” मैंने कहा ।

 “मैं पहले कौन-सी कोल्ड (cold) लगती थी ?” उसने थोड़ी इतराने वाली लहजे में बोली ।

सच कहूं तो दीपा की बातें सत प्रतिशत सही थी । उसके होंठ, उसकी आंखें और चिकने गाल किसी फिल्मी हीरोइन से थोड़ी भी कम ना  थी ।

“वैसे आजकल तू भी बड़ा हैंडसम दिख रहा है, ऐसा तो नहीं भाभी के हाथों से बने खाने खा-खा के हैंडसम होते जा रहे हो” उसने फिर से मजाकिया मुड में बोली।

“भाभी तो आजकल भैया में ही बिजी रह रहीं हैं, चाहो तो तुम चल सकती हो मेरे घर मेरे लिए…… अरे  मैं खाना बनाने की बात कर रहा हूं” इस बार मैं भी अपनी तरफ से उसे बोल्ड आउट करने के लिए गेंद फेंक चुका था ।

 इस बार दीपा पहली दफ़ा शर्मायी थी । मेरी बातें सुनकर शर्माती हुई बोली, “अच्छा ! “

“वैसे आज तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुम्हें कॉलेज छोड़ने आया है या नहीं ? ” मैंने इधर-उधर देखते हुए बोला ।

“क्या ? ” वह एकदम से चौंक कर बोली ।

“मैं उसी का बात कर रहा हूं जो बाइक (Bike) से तुम्हें सुबह-शाम कॉलेज छोड़ने और लेने आता है।” मैंने ऐसे बोला जैसे उस वक्त उसकी चोरी पकड़ ली गयी हो । और साथ ही  मैं अपनी आँखों के भौहों को ऊपर नीचे करता रहा ।

“अरे ……. तुम्हारा दिमाग तो खराब नही है ? … वह मेरे बड़े भैया हैं।”  वह मेरे कंधो पर प्यार से  मारतीहुई बोली

 “सच!” मैं बहुत खुश होते हुए पुछा ।

“ हां , वो मेरे बड़े भैया हैं ।” वह अपने चेहरे पर क्यूटनेस लाती हुई बोली ।

उस वक्त जब मुझे यह मालूम पड़ा कि वह आदमी दीपा की बॉयफ्रेंड नहीं है बल्कि उसके बड़े भैया हैं तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही  रहा । मेरी खुशी आसमान छू रही थी । 

उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे । कुछ ही दिनों में हम दोनों 

Continue …..

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