“अच्छा आप हो ! क्यों जी इतनी जल्दी क्यों जाना चाह रही हैं ? थोड़ा मेरे तरफ से भी रुक जाइए।” अर्जून भैया बोले।
उस दिन भैया के बात से पता चल रहा था कि उस दिन भैया काफी अच्छा मूड में थे। मैंने दीपा को अपने आंखों से रुक जाने की इशारा किया। मगर उसने अपनी जुबांन ( जीभ) बाहर निकाल कर आंखों को तिरेरते हुए मुझे चुप रहने की इशारा की।
“आप दोनों क्या गुटरगू करने में लगे हो?” भैया अपने टाइ खोलते हुए हम दोनों से बोले।
“कुछ नहीं जीजा जी ! बस सोच रही थी आज अगर घर नहीं गई तो भैया गुस्सा करेंगे।” दीपा घबराकर भैया की ओर देखती हुई जवाब दी।
“रुको मैं तुम्हारे भैया से बात करती हूं।” आदिति भाभी बोल कर अपने फोन से नंबर डायल करने लगे।
“हेल्लो ! मै आदिति बोल रही हूं“
“हां बोलो आदिति” दीपा के भैया आशीष ने बोला।
“भैया मैं दीपा को आज अपने घर रुकने को बोल रही हूं तो वह नहीं मान रही है। और घर वापस जाने की जिद कर रही है। आप बोलिए ना दीपा को कि आज यहीं रुक जाए।“
“मुझे दीपा से बात कराओ। मैं उसे बोल देता हूं कि रात में तुम वहीं रुक जाओ। वैसे भी वह अनजान के घर थोड़े ना रुक रही है। अरे वह तो तुम्हारे घर में रुक रही है तो मुझे चिंता किस बात की होगी!“ दीपा के भैया आशीष ने कहा।
आदित्य भाभी फोन दीपा को थमा दी। दीपा अपने भैया से बात करने के बाद मेरे घर पर ही रुक गई।
दीपा को मेरे घर पर रूकने से सब लोग काफी खुश थे। खाश कर मैं । मैं तो उस दिन कुछ ज्यादा ही खुश था। सभी लोग रात के डिनर करने के बाद अपने–अपने कमरे में सोने चले गये। माँ के बगल के कमरे में दीपा सो रही थी जबकि मैं २nd फ्लोर के सबसे शानदार कमरा में मैं सो रहा था।
रात के 11:00 बज रहे थे मगर मेरी आंख से नींद गायब हो चुकी थी और उधर दीपा भी अपने कमरे में करवटें बदल रही थी।
हम दोनों अलग-अलग कमरे में जरूरत थे मगर हम दोनों व्हाट्सएप वीडियो कॉल से एक दूसरे के पास ही मौजूद थे।
“यार नींद बिल्कुल ही ना आ रही है। क्या करूँ?” मैनें बोला।
“अभी सोने का टाइम कहां हुआ है छोटे! “ दीपा हंसती हुई बोली।
“दीपा तुम्हें मजाक दिख रही है। सच में नींद नहीं आ रही है यार, ऐसा करो तुम भी छ्त पर ही आ जाओ । एक साथ बैठ कर कुछ बातें करते हैं।” मैनें कहा ।
Continue ……
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