Author - Avinash Kumar
अगले दिन मैं और दीपा सुबह ठीक 9:00 बजे कॉलेज पहुंच चुके थे । उस दिन कॉलेज में प्रत्येक दिन की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही हलचल थी।
उस दिन हमारे कॉलेज मे छात्रसंघ चुनाव के लिए उम्मीदवारों का नॉमिनेशन शुरू होने वाली थीI मुझे इन सब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण इस पर ध्यान ना देकर मैं और दीपा कॉलेज की लाइब्रेरी में जा कर बैठे थे। वैसे मुझे लाइब्रेरी में पढ़ने की ज्यादा कुछ खास आदत नहीं थी। मैं अधिकांश समय लाइब्रेरी में बुक पढ़ने के लिए नहीं बल्कि दीपा के साथ समय बिताने के लिए जाता था। हमारी आंखें लाइब्रेरी के किताबों से ज्यादा दीपा के चेहरे पर टिकी रहती थी। मुझे हमेशा लगता था, उसकी गुलाबी होठों और मासूमियत भरी चेहरे पर ही मेरी आंखें जमी रहे।
“निशांत तुम छात्रसंघ के चुनाव में किसे वोट देने वाले हो? ” दीपा किताबों को पढ़ते हुए तिरछी नजर से मुझे बोली।
“अरे अभी किसी का नॉमिनेशन तक नहीं हुई है और तुम अभी से ही वोट देने की बात पूछ रही हो । अच्छा! तुम ही बताओ । तुम किसे वोट दोगी?” मैंने बोला।
“मैं तो दिवांशु को वोट दूंगी । वह आज नॉमिनेशन फार्म भरेगा “ दीपा किताब से नजर हटाती हुई बोली।
“कौन देवांशु? “ मैं थोड़ा हैरान होकर पूछा ।
“अरे वो मेरे क्लासमेंट है।”
“अच्छा कहीं वो अमिताभ बच्चन दाढ़ी स्टाइल वाला तो नहीं ? ” मैंने हिंट देते हुए उसे बोला।
“हां …. हां ! तुम सही कह रहे हो, इस बार छात्रसंघ चुनाव में वह चुनाव लड़ेगा ” दीपा ने जवाब दी ।
“मगर वह तो फर्स्ट ईयर का स्टुटेंट है I भला उसे कौन वोट देगा ? और वैसे भी कोई उसको क्यों जीताना चाहेगा ? अगर गलती से वो वह चुनाव जीत जाएगा तो कॉलेज में क्या कर लेगा ? उसे अभी कॉलेज के कमियों खूबियों के बारे में कुछ जानकारी नहीं होगा । इसके जगह पर अगर कोई सीनियर स्टूडेंट छात्रसंघ चुनाव जीतता है तो वह कॉलेज में कुछ बदलाव भी दिला सकता है मगर यह तो …..खैर इसकी बात छोड़ो I” मैंने कहा।
आधे घंटे बाद लाइब्रेरी से हम दोनों अपने–अपने क्लास रूम में चले गए उधर दीपा अपने क्लास रूम में थी मगर दीपा द्वारा देवांशु के पक्ष में बोलना और उसका सपोर्ट करने वाली बातें मेरे दिल में चुभ रही थी। मुझे समझ में नहीं आ रही थी आखिर दीपा हमेशा देवांशु को लेकर इतना पॉजिटिव क्यों रहती है जबकि वह दिखने में एक नंबर का ऐयासी और बाप का बिगड़ा औलाद लगता है।
“ कहीं ऐसा तो नहीं दीपा देवांशु को पसंद करती है ….. नहीं…. नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता है। दीपा कभी भी ऐसा नहीं कर सकती है।“ मैंने खुद से बुदबुदा कर बोला।
कॉलेज के ब्रेक के समय मैं कैंटीन में बैठकर पिछले 20 मिनट से दीपा की इंतजार कर रहा था। आज ऐसा पहली बार हो रहा था कि मुझे कैंटीन में बैठकर दीपा का इंतजार करना पड़ रहा है वरना ऐसा कभी ना हुआ हो की कॉलेज के ब्रेक के समय दीपा अपने क्लास रूम से बाहर कैंटीन में आकर मेरे साथ ना बैठी हो।
मैंने दीपा के नंबर पर कॉल किया,”हेलो दीपा यार तुम अपने क्लास रूम से बाहर नहीं आओगी क्या? मैं पिछले आधे घंटे से तुम्हारी इंतजार कर रहा हूँ।“
“सॉरी निशांत आज मैं कैंटीन में नहीं आ पाऊंगी मुझे कुछ काम है ।” बोलकर दीपा कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।
मैं दीपा की इस बिहेवियर से काफी दुखित हो गया। मुझे समझ नहीं आ रही थी आखिर दीपा अचानक से ऐसा बिहेव क्यों कर रही है?
खैर अब ब्रेक खत्म हो चुकी थी। मैं फिर से अपने क्लास रूम में चला गया।
उस दिन जब कॉलेज खत्म हुई तो मैं कॉलेज में दीपा के इंतजार करने के बजाय मैं सीधा अपने घर चला आया था। कॉलेज से छुट्टी होने के बाद दीपा मुझे कई बार कॉल की मगर मैंने उसके किसी भी कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। मैं उस वक्त काफी बुरा फीलिंग कर रहा था। ब्रेक टाइम इस तरह से दीपा द्वारा मुझे इग्नोर करने वाली बात सहज से मेरे गले के नीचे नहीं उतर रही थी।
कभी-कभी तो ऐसा लग रहा था जैसे वह मेरे घर पर हुई चोरी के घटना वाली बात को लेकर अभी तक मेरे घर वालों और मुझ से रूठी हुई है। मगर फिर दूसरे पल ही ख्याल आता कहीं ऐसा तो नही अब वह देवांशु के करीब जा रही है। और जैसे ही ये ख्याल मेरे दिमाग में आता मैं परेशान हो उठता।
जब मैंने व्हाट्सएप खोला तो देखा दीपा के 100 से अधिक मैसेज आ चुके थे और सब मैसेज में वह सिर्फ यही पूछ रही थी , “निशांत तुम्हें हुआ क्या है? तुम इतने नाराज क्यों हो ? …..कोई दिक्कत है तो बताओ ।” और इसी तरह के कई सारे मैसेज भरे पड़े थे।
मैंने लगभग 9 बजे रात में उसकी कॉल का जबाब दिया।
“हेल्लो ” मैंन बहुत धीमी स्वर मे बोला था।
“यार! तुम मेरे काँल का जबाब क्यो नही दे रहा था? मैं तुम्हे कॉल कर – कर के परेशान हुई जा रही थी और तुम ना मुझे जबाब देना जरूरी ही नही समझ रहे थे।” दीपा कॉल उठाते ही ये सारी बातें एक ही साँस मे बोल दी।
“नही ऐसी कोई बात नही है । बस थोड़ा विजी था जिसके कारण कॉल या मेसेज का जबाब नही दे पा रहा था।” मैं उदासीन आवजों में बोला।
”यार मैं तो डर ही गयी थी कि कहीं तुम मुझसे नाराज ना हो गये हो।” दीपा नार्मल हो कर बोली जैसे अब सब कुछ सही हो गया हो।
“भला मैं तुमसे कैसे नाराज हो सकता हूं ? तुम तो जानती हो , तुमसे एक पल की दूरी भी मेरे लिए गवारा लगता है” मैंने बोला।
जब आप किसी से प्यार करते हो, तो आप उससे चाहे लाख नाराजगी कर लो , उससे दूर जाने की कई हथकंडे आजमा लो। मगर आप जैसे ही कभी उसके सामने हो जाओगे या उससे एक पल के लिए भी बात कर लोगे, तो पहले से चली आ रही नाराजगी या वर्षों की दूर पल भर में ही दूर हो जाता है । मेरे साथ भी कुछ उस वक्त ऐसा ही हुआ।
मैं दीपा से उस दिन नाराज था उसकी सैकडों काँल मैसेज का मैंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन जैसे ही उससे थोड़ी सी बात कर लिया सारी नाराजगी खत्म सी हो गई थी।
उसके बाद हम दोनों के बीच लगातार कई घंटे बातें हुई और हम दोनों फिर से नॉर्मल हो गए फिर अचानक मैंने दीपा से पूछा, “दीपा तुम कॉलेज की ब्रेक टाइम में कहां थी ? यार मैं कैंटीन में तुम्हारा वेट (Wait) ही करता रहा मगर तुम आई ही नहीं।“
“ओह …..सॉरी ! मैं तो तुम्हें बताना ही भूल गई थी । पता है आज कॉलेज में मेरे क्लासमेट देवांशु छात्रसंघ चुनाव के लिए नॉमिनेशन फॉर्म भर दिया है । आज मैं और मेरी पूरी क्लास देवांशु के साथ ही चुनाव जितने के लिए कुछ रणनीति बना रहे थे। यही कारण थी कि मैं तुम्हारे साथ कैंटीन में नही आ पायी थी, सॉरी निशांत” दीपा बोली।
“ओक, कोई बात नही।“
दीपा को कैंटीन में ना आ पाने से जितना बुरा ना लगा था उस वक्त मुझे उससे कहीं ज्यादा बुरा उसके मुंह से यह सुन के लग रही थी कि वह देवांशु की वजह से कैंटीन में नहीं आई थी।
इसके बाद हम दोनों के बीच लगभग आधे घंटे बातें हुई उसके बाद गुड नाइट बोलकर दोनों सोने चले गए।
मैं बिस्तर पर सोने तो जरूर चला गया था मग़र मुझे बिस्तर पर बिल्कुल भी नींद नही आ रही थी I मुझे दीपा के मुंह से बार-बार देवांशु का नाम सुनना मेरे दिल को बिल्कुल रास नहीं आ रही थी। वैसे दीपा और देवांशु के बारे में मैंने आज तक ऐसी कोई बातें ना सुनी थी जिससे मुझे चिंता करने की जरूरत थी मगर फिर भी देवांशु के कारण मेरा दिल हमेशा असहज महसूस करता था।
*
अगले दिन सुबह मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था । स्नान करने के बाद मैं दीपा की पसंदीदा कलर की व्हाइट शर्ट और ब्लैक जिंस पहन रखा था। वैसे ये कलर अब सिर्फ दीपा की ही पसंदीदा नहीं रह गयी थी बल्की व्हाइट और ब्लैक कलर मेरा भी पसंदीदा रंग बन चुका था।
किसी ने सच कहा है , “प्यार में हमेशा दोनो के पसंद –नापसंद एक जैसे ही होते हैं। आप या तो अपने प्रेमिका के पसंद को अपना पसंद बना लेते है या फिर आपकी पसंद (फेवरेट) प्रेमिका की पसंद बन जाती है।“
मगर यह भी प्रचलित है की प्यार करने वाले लोग हमेशा एक जैसी सोच रखने वाले लोगों की तरफ ही आकर्षित होते हैं। अब ये दोनों बातें कितना सच या फिर कितना गलत है । यह तो मुझे मालूम नहीं है मगर दीपा और मेरी पसंद– नापसंद काफी हदे तक मिलती थी।
मैंने कपड़े पहन उस पर जोरदार ख़ुशबू वाली इत्र लगाकर अपने कमरे से बाहर निकला।
“क्या बात है आज तो बड़ा हैंडसम बनकर कॉलेज जा रहे हैं! किसी को अर्पोज– प्रपोज करने का इरादा है क्या ?” कमरे से बाहर निकलते ही मुझे अदिति भाभी मजाक से बोली।
“अरे नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं है । वैसे भी हम जैसे सीधे-साधे लड़के को कोई लड़की भाव भी नहीं देती है। “ मैंने भी मजाक में झूठ बोल दिया।
“मुझे तो लगता है लड़कियां आपके पीछे तितली बनकर घूमती होगी ।” भाभी मुस्कुराती हुई बोली।
“ऐसा तो कभी नहीं हुआ है । ….अगर ऐसी कोई लड़की रही तो आपको को बता दूंगा” मैंने यह बोल कर बाहर निकल लेना ही उचित समझा वरना वह धीरे-धीरे कहीं दीपा तक ना पहुंच जाते।
मैंने नाश्ता किया और वहां से सीधे कॉलेज पहुंच गया। दीपा भी कॉलेज आ चुकी थी । हमेशा की तरह आज भी दीपा को कॉलेज छोड़ कर उसके भैया वापस घर चले गए थे।
“हाय दीपा , गुड मॉर्निंग ” मैंने दीपा को देखते ही बोला।
“गुड मॉर्निंग मेरे छोटे बाबू ” दीपा मुस्कुराती हुई बोली।
दीपा जब भी मेरे निकनेम “छोटे ” से मुझे संबोधन करती थी तब मैं समझ जाता था कि दीपा आज बहुत अच्छे मुंड में है।
हम दोनों कॉलेज के मेन गेट से एक दूसरे के हाथ थाम कर धीरे -धीरे कॉलेज की बिल्डिंग के तरफ बातें करते हुए बढ़ने लगे । इस बीच हम दोनों के कई क्लासमेट “हाय –हेलो” बोलकर जा रहे थे जिसके कारण हम दोनों के बातचीत में खलल पड़ रही थी।
हम कॉलेज के लाइब्रेरी की ओर आगे बढ़ रहे थे उसी बीच देवांशु अपने कई दोस्तों के साथ वहां पहुंचा और उसने दीपा से बोला,” गुड मॉर्निंग दीपा ”
“गुड मॉर्निंग देवांशु।” दीपा बोली
“अपनी क्लासमेट और पार्टी के सभी मेंबर तुम्हारे ही इंतजार कर रहे है।“ देवांशु बोला
“क्या बात है ? आज कॉलेज में लोग मेरी इन्तजार सुबह से ही हो रहे है । कोई खास बात है क्या ?” दीपा खुश होते हुए बोली ।
उस वक्त दीपा देवांशु से बहुत खुश होकर बातें कर रही थी और मैं उसके बगल में एक अनजान व्यक्ति सा मूर्त जैसे चुपचाप खड़ा था।
“अरे चुनाव प्रचार के लिए कुछ स्लोगन लिखना था। सब लोग स्लोगन लिखने के लिए कई लड़के– लड़कियों के नाम सुझा रहे थे लेकिन मैंने उन लोगों से साफ बोल रखा है,मेरी चुनाव प्रचार के लिए स्लोगन केवल दीपा ही लिखेगी क्योंकि दीपा जैसी कोई स्लोगन नहीं लिख सकता है । तब से वे लोग बेसब्री से तुम्हारा इंतजार ही कर रहे हैं।“ देवांशु बोला ।
“रियली! … थैंक्स देवांशु की तुमने स्लोगन लिखने के लिए मेरा नाम सुझाव दिया है । रियली मुझे स्लोगन लिखने में बहुत मजा आता है ।” दीपा इतनी खुश होकर बोल रही थी जैसे वह भूल चुकी हो कि मैं भी उसके साथ हूं ।
“ठीक है दीपा क्लास रूम में चलो कुछ मीटिंग करनी है ।” यह बोलकर देवांशु वहां से आगे बढ़ गया। लेकिन जाते वक्त मुझे अपनी दोनों आंखों से घूरता गया । उसकी इस हरकत से मेरा खून खौल गया था ।
मैं अच्छी तरह से जानता था कि वह दीपा को पसंद करता है और वह छात्रसंघ चुनाव के बहाने दीपा के करीब आना चाहता है ।
मुझे उस वक्त लगा की दीपा को देवांशु से दूर रहने बोल दूं । मगर मैं यह नहीं चाहता था कि दीपा मेरे इस बातों को अलग मतलब निकाल मुझसे नाराज हो जाए । इसीलिए मैंने उस वक्त से कुछ नहीं बोला और हम दोनों अपने-अपने क्लास रूम में चले गए ।
मैं क्लास रूम में बस यही सोच रहा था , कहीं अगर देवांशु सच में दीपा के करीब आने में सफल हो जाएगा तो मेरा क्या होगा ? मैं तो उसके बिना जी नहीं पाऊंगा। मगर मुझे अपनी मोहब्बत और दीपा पर पूरा यकीन था कि वह ऐसा कभी नहीं कर सकती हैं।
उस दिन के बाद दीपा अधिकांश समय देवांशु के चुनाव प्रचार में ही कॉलेज में इधर-उधर बिजी रहने लगी थी , अब तो वह कई दिन से कैंटीन में साथ बैठकर चाय तक भी नहीं पी थी ।
मुझे दीपा को देख कर ऐसा लगने लगा था कि यह चुनाव देवांशु नहीं बल्कि दीपा लड़ रही हो । हर जगह दीपा के लिखे स्लोगन लगे हुए थे, कॉलेज के पूरी दीवार उसी से भरा पड़ा था । दीपा हमेशा इसी सब में बिजी रहने लगी थी और इधर दिन पर दिन दिवांशु और मेरी बीच तकरार बढ़ता ही जा रहा था ।
एक दिन देवांशु मुझे कॉलेज के बाहर मिला और वह दीपा के बारे में कुछ ज्यादा ही बातें कर रहा था ।जिसके कारण मेरा खून खौल उठा था ।
“देखो निशांत हर चीज के कुछ मर्यादा होती है और कोई भी व्यक्ति को किसी के अपने मर्यादा को नहीं तोड़नी चाहिए । अब देखो तुम बीकॉम के स्टूडेंट होकर मेरी क्लास के बंदी को पटाने की कोशिश कर रहे हो इससे मेरे क्लास के मर्यादा टूट रही हैं जो की गलत बात है ।” देवांशु मुझे समझाते हुए बोला ।
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