Author - Avinash Kumar
कोर्ट के फैसले के बाद आरव को साइकोलॉजिस्ट के पास भेज दिया गया। उसे एक Specialized mental health center में एडमिट कराया गया, जहाँ डॉक्टर उसकी मानसिक स्थिति का जाँच करने के लिए तैयार थे।
दूसरी तरफ, इंस्पेक्टर कीरत के हाथ एक ऐसा सुराग लगा जिसने पूरे केस को एक नई दिशा दी।
आरव के घर की तलाशी के दौरान उन्हें एक पुरानी डायरी मिली। ये डायरी आरव की थी , जिसमें अपने जज्बातों के साथ कुछ ऐसे अनकहें बातें लिखता था जिसकी वो किसी से चर्चा नहीं करता था।
उस डायरी के पन्ने दर्द और गुस्से से भरे हुए थे। उसमें आरव ने बार-बार लिखा था कि वह अपने माता-पिता के हत्यारे को सजा दिलाएगा, चाहे उसके लिए उसे कुछ भी करना क्यों ना करना पड़े। उसने उस डायरी में अपने पेरेंट्स के मर्डरर को मारने की पूरी प्लान बना रखी थी।
उस डायरी के पन्ने को पलटते हुए कीरत ने खुद से कहा, “कहीं ऐसा तो नहीं कि आरव को लगता था , डॉ. शेखर उसके पेरेंट्स के हत्यारे हैं और इसी वजह से उसने उन्हें मार डाला?”
किरत उस डायरी के पन्ने को धीरे-धीरे पलटता गया और उसे पढ़ता गया।
उस डायरी ने कीरत को सोचने पर मजबूर कर दिया।
दूसरी तरफ़ आरव अस्पताल में अपनी सिचुएशन से अनजान था। उसे अब भी यकीन था कि वह एक पुलिस इंस्पेक्टर ही है और उसे अपने माता-पिता के हत्यारे को ढूंढना है।
डॉक्टर जब उससे मिलने आए, तो उसने कहा,
“डॉक्टर साहब, मुझे यहाँ क्यों रखा गया है? मैं पागल नहीं हूँ। मुझे उस हत्यारे को पकड़ना है जिसने मेरे परिवार को मुझसे छीन लिया।”
डॉक्टर ने आरव की आवाज़ सुनकर उसे समझाते हुए कहा, “आरव, घबराओ नहीं तुम ठीक हो जाओगे, देखो हम सब तुम्हारी मदद करने के लिए ही तो आये हैं।”
डॉक्टर की बात सुनकर आरव ने उसे घुर कर देखा और वो गुस्से में बोला, “मैं पागल नहीं हूँ! मैं इंस्पेक्टर हूँ। मुझे मेरे काम पर वापस जाने दो। मेरे माता-पिता के हत्यारे को सजा दिलानी है।”
वहां खड़े डॉक्टर मनोचिक्त्स्क थे इसलिए उन्हें अच्छे से पता था कि ऐसे मरीजों को कैसे हैंडल करना है।
डॉक्टर ने उससे बात करने की कोशिश की, “आरव, यह जगह तुम्हारी मदद के लिए है। हम जानना चाहते हैं कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है। तुम्हें कौन-सी आवाजें सुनाई देती हैं?”
पहले तो आरव ने डॉक्टर की बात सुनकर बताने से इनकार किया फिर उसने कहा, “आवाज़ें! हाँ, वो मुझे आवाज़े सुनाई देती है मगर वो मेरे दोस्त है वहीं मुझे सही से गाइड करता है। उसने आज तक जो भी बताया वो सच हुआ है, उसने ही मुझे कही थी मैं एक दिन पुलिस बनूंगा और देखो आज मैं इंस्पेक्टर हूँ। यहाँ तक उसने ही मुझे बताया कि डॉक्टर शेखर एक क्रिमिनल था। वो मेरे लिए खतरा बन गया था।”
डॉक्टर ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन आरव का बिलीव अपनी इमेजनरी दुनिया में स्ट्रांग था।
दूसरी तरफ , इंस्पेक्टर कीरत उस डायरी के पन्ने पलटते हुए हर शब्द को गौर से पढ़ रहे थे। एक पन्ने पर लिखा था: “उन्होंने मुझे बचपन में हर बार कमजोर महसूस करवाया। मुझे हमेशा डांटते और दूसरों के सामने इन्सल्ट करते , मुझे यकीन ही नहीं होता था कि वो मेरे अपने सग्गे माँ-पिता थे। वो दोनों हमेशा घर से बाहर रहते और हर दिन कोई ना कोई नया मेहमान लेकर घर आते। मेरे माता-पिता ने मुझे कभी प्यार नहीं दिया। लेकिन अब मैं कमजोर नहीं रहूंगा। मैं उन सब को अपनी लाइफ से दूर कर दूंगा जो मुझे कमजोर समझता है।”
कीरत ने यह सब देखकर समझ गया था कि आरव की मानसिक स्थिति बचपन से ही सही नहीं थी। और इन सब के पीछे उसकी फैमली का सपोर्ट ना मिलना हो सकता था।
अगले दिन इंस्पेक्टर कीरत डॉक्टर से मिलने अस्पताल गया। डॉक्टर ने इंस्पेक्टर से कहा, “आरव सिज़ोफ्रेनिया से ग्रस्त है। उसे आवाजें सुनाई देती हैं, और वह कल्पना में खुद को एक इंस्पेक्टर मानता है। उसके अतीत में बहुत दर्द और गुस्सा है। ये Possible है कि उसे बचपन में टॉर्चर किया गया हो जिसकी वजह से वो खुद को अकेला और कमजोर समझने लगा हो और फिर धीरे -धीरे खुद को strong इमेजिन करने के लिए एक इमेजनरी दुनिया ही बना ली और फिर उसे सिज़ोफ्रेनिया जैसी बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया।”
इंस्पेक्टर कुछ सोचने के बाद धीरे से कहा, “क्या ये पॉसिबल है कि आरव को टॉर्चर करने वाले उनके पेरेंट्स ही हो?”
कीरत की बात सुनकर डॉक्टर ने तुरंत जबाव दिया , “हाँ , ये पॉसिबल है क्योंकि इस तरह के केस में पेशेंट के करीबी आदमी हो होते हैं।”
डॉक्टर की बात सुनकर इंस्पेक्टर के चेहरे पर स्माइल आ गयी जैसे उसने कोई बड़ी रहस्य को समझ लिया हो। उसने डॉक्टर से कहा, “ डॉक्टर , मुझे आरव की डायरी से कुछ ऐसी चीजें मिली है जो कोर्ट को ये साबित करने के लिए काफ़ी है कि आरव ने ही अपने पेरेंट्स की हत्या की है।”
इंस्पेक्टर की बात सुनकर डॉक्टर दंग रह गये क्योंकि ये पॉसिबिलिटी थी कि आरव ने ही अपने पेरेंट्स की हत्या की हो।
डॉक्टर ने कुछ सोचते हुए कहा, “उसने अपने माता-पिता की हत्या की हो ,ये पॉसिबल है लेकिन वह इसे याद नहीं कर पायेगा।”
अभी ये दोनों बात ही कर रहे थे कि अस्पताल में आरव की चिल्लाने की आवाज़े आने लगी, “तुम मुझे क्यों नहीं छोड़ देते? मैंने वही किया जो सही था। वो मुझे मारना चाहते थे। मैं पागल नहीं हूँ!”
इसी बीच, पुलिस को आरव के घर से पुराने खून के धब्बों के निशान मिले। फॉरेंसिक जांच में पुष्टि हुई कि वह खून उसके माता-पिता का था। अब पुलिस को शक हो गया कि आरव ही असली हत्यारा है।
जब डॉक्टर ने उससे इस बारे में बात की, तो आरव ने जवाब दिया, “नहीं, वो मैं नहीं था। तुम सब मुझे जानबूझ कर पागल करने के चक्कर में लगे हो , मैं हत्यारा नहीं हूँ।”
इतना कहने के बाद आरव रोने लगा और कुछ देर बाद उसने ऐसी बात कही जिसे सुनकर सब हैरान रह गये। आरव ने कहा, “मेरे माता-पिता मुझे खत्म करना चाहते थे, मैंने सिर्फ अपनी जान बचाई थी। मैंने उनका मर्डर नहीं किया था।”
इसके बाद पुलिस डॉ. शेखर के मर्डर केस के साथ -साथ आरव के पेरेंट्स मर्डर केस की Investigation भी करने लगें।
Investigation आगे बढ़ने पर पता चला कि आरव के माता-पिता उसकी mental condition से परेशान थे। वे उसे इलाज के लिए एक mental अस्पताल भेजना चाहते थे, लेकिन आरव ने इसे अपनी जान का खतरा मान लिया और एक रात, उसने उन पर हमला किया और उनकी हत्या कर दी।
आरव का सच सामने आते ही डॉक्टर और पुलिस के लिए यह क्लियर हो गया कि वह मानसिक बीमारी के कारण अपराध कर बैठा था। अदालत में उसे दोषी तो ठहराया गया, लेकिन उसे जेल के बजाय मानसिक अस्पताल भेज दिया गया।
अस्पताल में आरव अब भी अपने आप से बात करता है। उसकी कल्पनाओं में वह अब भी एक इंस्पेक्टर है, जो अपने माता-पिता के हत्यारे को ढूंढने की कोशिश कर रहा है। लेकिन असल में, वह अपने ही दिमाग की लड़ाई लड़ रहा है।
Season – 01 END
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